Connect with us

हल्द्वानी

क्या होगी कब्जा हटाने की प्रक्रिया, प्रशासन को दिए गए हैं क्या निर्देश? यहां पढ़िए हल्द्वानी रेलवे भूमि प्रकरण पर हाईकोर्ट का विस्तृत जजमेंट….

खबर शेयर करें -

नैनीताल। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर अत्यधिक सख्त आदेश पारित करते हुए रेलवे की भूमि से अतिक्रमणकारियों के बेदखली करते हुए रिपोर्ट कोर्ट में तलब की है। 20 दिसम्बर को न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने यह आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट, नैनीताल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नैनीताल और उनके सभी अधीनस्थ प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी हद तक बलों का उपयोग करने के लिए आवश्यक होने पर, अनधिकृत कब्जाधारियों को परिसर खाली करने के लिए एक सप्ताह का समय देने के बाद तत्काल बेदखल कर सकते हैं। क्योंकि अन्यथा एक प्रकाशन के माध्यम से जिसे हमारे द्वारा बनाने का निर्देश दिया गया है, वह स्वयं उनके खिलाफ की जाने वाली संभावित कार्रवाई की अग्रिम सूचना देने के लिए पर्याप्त होगा। रेलवे भूमि से अनधिकृत कब्जेदारों को बेदखल करने के लिए निम्न कार्रवाई की जानी आवश्यक है वो भी पूवोत्तर रेलवे अधिकारियों के साथ समन्वय बनाकर।

1- जिला प्रशासन, और यदि आवश्यकता हो, तो किसी भी अन्य अर्धसैनिक बलों के साथ, रेलवे भूमि पर कब्जा करने वालों को तुरंत एक सप्ताह का नोटिस देकर, उन्हें उपरोक्त अवधि के भीतर भूमि खाली करने के लिए कहेगा।

2- पूर्वाेक्त समयावधि के भीतर इस निर्णय के प्रवर्तन के प्रयोजनों के लिए नोटिस की तामील को पेपर प्रकाशन द्वारा सूचित किया जाना है, और स्थानीय निवासियों को संदेश देने के क्षेत्र में ढोल पीटकर संभावित कार्रवाई की सूचना दी जानी है। ऊपर दी गई एक सप्ताह की अवधि की समाप्ति के बाद लिया गया।

3- यदि कब्जाधारियों/अतिक्रमणियों द्वारा रेलवे के विवाद में भूमि एवं परिसर को खाली करने में विफल रहता है तो रेलवे अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद यह खुला रहेगा कि वे स्थानीय पुलिस, जिलाधिकारी, वरिष्ठ अधीक्षक के संयुक्त समन्वय से पुलिस और अन्य अर्धसैनिक बल, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, तत्काल कार्रवाई शुरू करेंगे और ऐसे कब्जाधारियों/अतिक्रमणकर्ताओं से कब्जा की गई भूमि पर बलपूर्वक कब्ज़ा करेंगे।

4- उपरोक्त संदर्भित वैधानिक प्राधिकरण रेलवे भूमि पर अतिक्रमणकर्ताओं द्वारा उठाए गए अनधिकृत संरचनाओं को ध्वस्त या हटा देंगे, जैसा कि इस निर्णय के निकाय में पहचाना गया है, और एक की अवधि की समाप्ति के बाद तुरंत कब्जा कर लेंगे। सप्ताह जैसा कि ऊपर दिया गया है।

5- रेलवे प्राधिकरण के लिए यह खुला होगा कि यदि उन्हें संरचना को ध्वस्त करने के लिए किसी भी बल का उपयोग करने के लिए मजबूर किया जाता है और अतिक्रमणकारियों द्वारा अनधिकृत रूप से कब्जा की गई रेलवे की संपत्ति को कब्जे में लेने के लिए, लागत, जो निवेश की जाती है अनाधिकृत कब्जाधारियों को हटाने में उनके द्वारा भू-राजस्व के बकाये के रूप में उनसे वसूली की जायेगी।

6- सचिव, गृह, उत्तराखंड राज्य, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखंड राज्य, रेलवे सुरक्षा बल के प्रमुख, जिलाधिकारी, नैनीताल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नैनीताल, से अपेक्षा की जाती है कि वे पूर्ण उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। सशस्त्रा बलों द्वारा क्षेत्र को घेरकर किसी भी संभावित आकस्मिकता को पूरा करने के लिए बल की आवश्यकता का आकलन करने के बाद साइट पर पुलिस बल तैनात किया जाएगा, जिसमें पुलिस अधिकारियों और रेलवे के कर्मचारियों की देखभाल और सुरक्षा शामिल है, जो कि होंगे रेलवे की जमीन पर खड़े अवैध ढांचों को गिराने की प्रक्रिया में लगे हैं।

7- रेलवे प्रशासन को आगे निर्देशित किया जाता है कि उपरोक्त निर्देशित बेदखली की प्रक्रिया में सहयोग नहीं करने वाले संबंधित प्रतिष्ठानों के अधिकारियों सहित दोषी व्यक्तियों के खिलाफ एक उचित कार्यवाही शुरू की जाए और उन्हें भी स्थापना या अनुमति देने के लिए कार्रवाई की जाएगी। रेलवे से संबंधित भूमि पर कब्जा करके अतिक्रमणकारियों, जो स्वयं भारतीय रेलवे वर्क्स मैनुअल के तहत विचार किया गया है।

8- रेल प्रशासन को निर्देश दिया जाता है कि भूमि की सीमाओं की सीमा और उसके सत्यापन की जांच के लिए एक जांच शुरू की जाए और उपरोक्त कार्रवाई के बाद अतिक्रमणकारियों को हटाए जाने के बाद रेलवे प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि रेलवे संपत्ति की उचित बाड़ लगाई जाए। रेलवे प्रशासन द्वारा, और रेलवे भूमि पर किए जाने वाले किसी भी अतिक्रमण के भविष्य के किसी भी कार्य का विरोध करने के लिए आवश्यक बलों की तैनाती द्वारा यह भी सुनिश्चित करेगा, जिससे उत्तरदाताओं द्वारा उपरोक्त निर्देशित बेदखली प्रक्रिया का सहारा लिया जाना है।

हाईकोर्ट ने उम्मीद और विश्वास जताया है कि सम्बन्धित विभाग भविष्य में रेलवे के विकास को सुनिश्चित करने और रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण के खतरे को रोकने में मदद करेंगे और रेलवे अधिकारियों द्वारा भविष्य में फिर से अतिक्रमण होने से रोक दिया जाएगा। प्रशासनिक एजेंसियों को निर्देश दिया जाता है कि वे एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करें, दिशा-निर्देश पूरा करें और अनुपालन की रिपोर्ट कोर्ट में दें।

हालांकि अभी आदेश में यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि रेलवे कितनी भूमि अधिग्रहण करेगा। 29 एकड़ या इससे कम या अधिक जमीन को लेकर कोई स्पष्ट व्याख्या अभी नही की जा सकती है। अधिवक्ता औऱ जानकर लोग आदेश की बारीकियां समझ रहे हैं।

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

More in हल्द्वानी

Recent Posts

Facebook

Advertisement

Trending Posts

You cannot copy content of this page