उत्तराखण्ड
उत्तराखंड देवताओं की भूमि, मजारों की तुलना मंदिरों से करना सनातन धर्म का अपमान
देहरादून: धार्मिक स्थलों के नाम पर वन क्षेत्रों समेत अन्य स्थानों में हुए अतिक्रमण का मुद्दा अब राजनीतिक रूप से तूल पकड़ने लगा है। इस कड़ी में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता क ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष समेत अन्य नेताओं को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि मजारों की तुलना पौराणिक मंदिरों से करना सनातनी संस्कृति का अपमान है।
उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड मंदिरों की भूमि है। ऐसे में मृतकों के नाम पर बनी अवैध मजारों को बचाने के लिए मंदिरों से की जा रही इनकी तुलना को राज्यवासी सहन करने वाले नहीं हैं। भाजपा नेता जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में देवभूमि की सनातनी संस्कृति एवं कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बने धार्मिक अतिक्रमण के ध्वस्तीकरण अभियान के विरोध में कांग्रेस समेत विपक्ष की बयानबाजी आपत्तिजनक है।
एक वर्ग विशेष की तुष्टिकरण के लिए मजारों की तुलना मंदिरों से की जा रही है। कांग्रेस का यह तर्क अपमानजनक है कि अवैध तरीके से सरकारी भूमि पर बनी मजारों को नियमितीकरण किया जाए या सभी स्थलों को एक मानते हुए ध्वस्तीकरण किया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भूमि देवों की भूमि है। यहां के कण-कण में भगवान का वास है। ऐसे में अवैध कब्जे कर बनाई गई मजारों की तुलना मंदिरों से करना सनातनी संस्कृति व देवभूमि का अपमान है।
उन्होंने कहा कि यह हमारी ही संस्कृति है, जो जंगल को भी पर्यावरण एवं मानव कल्याण की दृष्टि से भगवान को अर्पित करती है। इसके पीछे मंतव्य यही है कि लोग जंगल न काटें और वे सुरक्षित रहें। साथ ही पर्यावरण के महत्व को अपनी दिनचर्या में आत्मसात करें। ऐसे में देवता समान जंगल में बनाए गए अतिक्रमणों पर हो रही कार्रवाई का सभी को स्वागत करना चाहिए।
पीएम, सीएम को लिखा पत्र तुष्टिकरण का हिस्साभाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने भी कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि कांग्रेस के मन मस्तिष्क में केवल तुष्टिकरण है। धार्मिक अतिक्रमण को लेकर कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को लिखा गया पत्र इसी का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस के सभी राजनीतिक अभियान जमीनी स्तर पर फ्लाप हो गए तो वह अपनी पुरानी तुष्टिकरण की नीति पर लौट आई है।
