उत्तराखण्ड

विधानसभा बैकडोर भर्ती : 396 कर्मचारियों की भर्ती ले लिए अपनाई एक जैसी प्रक्रिया, फिर 228 को ही क्यों किया बर्खास्त…उठे सवाल

खबर शेयर करें -

देहरादून : पिछले साल विधानसभा में से 228 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट भी गए, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। विधानसभा में बिना विज्ञप्ती और भर्ती के लिए जरूरी प्रक्रिया बनाए भर्ती कर दिया गया था। इनमें अधिकांश तत्कालीन विधानसभा अध्यक्षों के चहेतों के साथ ही मंत्रियों, नेताओं और ऊंची पहुंच वाले लोगों के करीबी हैं।

मामले ने जब तूल पकड़ा को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने एक समिति का गठन किया था। पूर्व आईएएस डीके कोटिया की अध्यक्षता में गठित समिति ने 20 दिन के भीतर 2001 से 2021 तक हुई भर्तियों की जांच कर 22 सितंबर 2022 को रिपोर्ट सौंपी थी। 23 सितंबर को जांच रिपोर्ट के आधार पर अध्यक्ष ने 2016 से 2021 तक 228 नियुक्तियों को रद्द कर कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया।

यह भी पढ़ें 👉  डिजिटल हो रहा हेल्थ डाटा, 30 लाख से अधिक की बन चुकी ID

विधानसभा सचिवालय में 2001 से 2021 तक की गई सभी 396 नियुक्तियों के लिए एक समान प्रक्रिया अपनाई गई। तदर्थ आधार पर की गई इन नियुक्तियों को विशेषज्ञ समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में नियम विरुद्ध माना। 2016 से पहले 168 कर्मचारियों को नियमित किया गया था। इन कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने विधिक राय लेने की बात कही थी।

विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विधानसभा सचिवालय में अस्थायी तदर्थ आधार पर 396 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई। सभी नियुक्तियों के लिए एक समान प्रक्रिया अपनाई गई, जो नियम विरुद्ध हैं, लेकिन बर्खास्तगी की कार्रवाई 228 कर्मचारियों पर की गई। ऊधमसिंह नगर जिले के काशीपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता नदीमुद्दीन ने आरटीआई के तहत विशेषज्ञ समिति की जांच रिपोर्ट मांगी है।

यह भी पढ़ें 👉  दून में झमाझम बारिश, पहाड़ों में लुढ़का पारा; आज भी वर्षा-बर्फबारी के आसार

इस खुलासे के बाद अब सरकार और विधानसभा अध्यक्ष पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कर्मचारियों को बर्खास्त करने के फैसले से ऋतु खंडूड़ी और सरकार की खूब तारीफ हुई थी, लेकिन अब इस मामले में नया खुलासा होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह भी चर्चाएं चल रही हैं कि कर्मचारियों को बर्खास्त से पहले चहेतों को बचा लिया गया।

अब सवाल उठ रहा है कि आखिर 228 कर्मचारियों को किस आधार पर बर्खास्त किया गया और जिन कर्मचारियों को इसी प्रक्रिया के तहत भर्ती किया गया है, उनको नौकरी से क्यों नहीं निकाला गया? आखिरी विधानसभा अध्यक्ष के सामने ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि अन्य कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकाला गया? क्या उन पर किसी का दबाव था?

Leave a Reply

Your email address will not be published.

You cannot copy content of this page