Connect with us

others

पृथ्वी से अलग हालात होने पर भी अरबों साल तक आवासीय हो सकते हैं बाह्यग्रह

खबर शेयर करें -

अभी तक ब्रह्माण्ड में भले ही केवल पृथ्वी (Earth) पर ही जीवन देखने को मिला हो, लेकिन किसी अन्य बाह्यग्रह या बाह्यग्रहों (Exoplanets) भी जीवन हो सकता है इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. लेकिन पृथ्वी पर जीवन है वह केवल विशेष स्थिति को ही दर्शाता है. पृथ्वी के बाहर जीवन कई अन्य रूपों और विविधताओं के साथ मिल सकता है वहीं पृथ्वी जैसे हालात कहीं और भी मिल सकते हैं.  लेकिन अब वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि किसी बाह्यग्रहों में आवासीय स्थितियां (Habitable conditions) अरबों सालों तक रह सकती हैं. वहीं जिन बाह्यग्रहों में तरल पानी के होने क क्षमता हो वहां जीवन पनपने के ज्यादा  बेहतर संभावनाएं होती हैं.

वायुमंडल का योगदान
स्विटजरलैंड की ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के खगोलविद मारिट मोल लोऊस की अगुआई में  हुए शोध में यह निष्कर्ष निकला कि हाइड्रोजन और हीलियम वाले अच्छे और मोटे वायुमंडल वाले ग्रहों में तापमान और जीवन के लिए अनुकूल स्थितियां बहुत ही लंबे समय तक कायम रह सकती हैं. ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के खोगलभौतिकविद रैविट हेलेड ने बताया कि इसका एक कारण यह है कि पृथ्वी पर तरल पानी के होने की वजह उसका वायुमंडल है.

ऊष्मा जमा करने की क्षमता
पृथ्वी का वायुमंडल का यहां जीवन के होने में प्रमुख योगदान है. हेलेड ने बताया कि प्राकृतिक ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण वायुमंडल सही मात्रा में ऊष्मा बारिश, नदियों और महासागरों के लिए जमा करती है. पृथ्वी का वायुमडंल हमेशा ही ऐसा नहीं दिखाई नहीं देता था जैसा कि आज दिखाई देता है.  आज इसमें सबसे ज्यादा नाइट्रोजन, फिर ऑक्सीजन  बहुत ही कम मात्रा में हाइड्रोजन और हीलियम है.

प्राइमोर्डियल वायुमंडल
जब कोई नया ग्रह बनता है तो उसका वायुमंडल प्राइमोर्डियल वायुमंडल कहलाता है जिसमें अधिकांश हाइड्रोजन और हीलियम होता है जो सौरमंडल और सूर्य को बनाने वाले गैस और धूल के प्रमुख तत्व हैं. पृथ्वी ने अपने प्राइमोर्डियल वायुमंडल काफी शुरुआत में खो दिया था जिसमें युवा सूर्य के विकिरण, उल्कापिंडों की बारिश जैसी कई प्रक्रियाएं कारण बनी थी.

एक अलग संभावना
लेकिन यह संभव है कि कोई पृथ्वी के जैसा लेकिन उससे भारी (और नेप्च्यून से हलका) सुपरअर्थ बाह्यग्रह में प्राइमोर्डियल वायुमंडल पृथ्वी की तुलना में कायम रह जाए. ऐसे वायुमंडल भी ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा कर सकते हैं जैसा कि पृथ्वी पर आज देखने को मिलता है. इसलिए शोधकर्ताओं ने सिम्यूलेशन और विभिन्न बाह्यग्रहों के प्रतिमानों के जरिए पता लगाने का प्रयास किया कि क्या ये वायुमंडल तरल पानी के लिए अनुकूल हालात बनाने में मददगार होते हैं या नहीं.

10 अरब साल तक
शोधकर्ताओं के अध्ययन के नतीजों ने दर्शाया कि मोटे प्राइमोर्डियल वायुमडंल वाले बाह्यग्रह वाकई इतने गर्म हो सकते हैं कि वे 10 अरब सालों तक ग्रह पर पानी की तरल रख सकते हैं. लेकिन इसमें एक पेंच है,  तीव्र तारकीय विकिरण से बचने के लिए, जिससे कि वायुमंडल की गैसें अंतरिक्ष में ना उड़ जाए, बाह्यग्रह को तारे से एक खास तरह की दूरी कायम रखनी होगी.

तरल पानी की शर्तें
इस दूरी से ग्रह का पानी जमेगा नहीं, लेकिन सूर्य ही ऊष्मा का स्रोत नहीं होता है. कुछ ग्रह जिसमें पृथ्वी भी शामिल है, खुद की ऊष्मा भी पैदा करते हैं. इसलिए अपने तारे से समुचित दूरी, प्राइमोर्डियल वायुमंडल, पर्याप्त आंतरिक ऊष्मा, जैसे हालात ग्रह पर पानी को तरल रख सकते हैं. वहीं खगोलविद आशा करते  हैं कि तरल पानी होने के लिए ग्रह तारे से सही दूरी पर हो जिससे विकिरण सही मात्रा में ही हो और वायुमंडल वाष्पीकृत ना हो साथ ही ना ही वह इतना दूर हो कि पानी जम जाए. पानी होने पर जीवन करोड़ों सालों में पनप सकता है शोधकर्ताओं का कहना है कि जीवन खुले तैरते ग्रहों पर ही पनप सकता है जो किसी तारे का चक्कर नहीं ला रहे हैं

नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित इस अध्ययन के शोधकर्ताओं ने बताया कि इस शोध के नतीजे उत्साह बढ़ाने वाले हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह के कई ग्रहों में तरल पानी भी लंबे समय से है लेकिन उनके पास सही मात्रा में वायुमंडल नहीं है. इसके अलावा सही हालात होने पर भी यह स्पष्ट नहीं है कि आखिर यहां जीवन पनपने की क्या संभावना है. लेकिन इस अध्ययन से खोज और निश्चित जरूर हो सकती है.

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

More in others

Recent Posts

Facebook

Advertisement

Trending Posts

You cannot copy content of this page