उत्तराखण्ड
उत्तराखंड : शादी के 10 दिन बाद रोते हुए कोतवाली पहुंची नवविवाहिता, बोली- मुझे ससुराल नहीं जाना, आगे पढ़ना है
रुड़की। रुड़की में एक नवविवाहिता ससुराल से भागकर अपने मायके आ गई। मायके वालों ने ससुराल भेजने का दबाव बनाया तो विवाहिता कोतवाली पहुंच गई। कोतवाली पहुंचकर वह बस यही कहती रही कि इंस्पेक्टर सर मुझे ससुराल नहीं जाना है। वहां बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है। मुझे आगे पढ़ना है। लेकिन माता-पिता जबरन मुझे ससुराल भेज रहे हैं। पुलिस ने विवाहिता को समझा बुझाकर शांत कराया।
विवाहिता रोते हुए कोतवाली पहुंची
गंगनहर कोतवाली क्षेत्र निवासी एक विवाहिता रोते हुए कोतवाली पहुंची। विवाहिता को रोता देख पहले तो पुलिस को लगा कि शायद ससुराल के लोग उसे परेशान कर रहे होंगे। लेकिन जब विवाहिता को बैठाकर पूरी बात पूछी गई तो उसने बताया कि उसकी शादी 10 दिन पहले ही बहादराबाद निवासी एक युवक से हुई थी। ससुराल में उसका मन नहीं लग रहा था। इसलिए वह अपने मायके में आ गई। उसके माता-पिता जबरन उसे ससुराल भेजने पर अमादा हैं। जबकि वह पढ़ना चाहती है।
समझा बुझाकर शांत कराया गया
थोड़ी देर बाद ही विवाहिता के स्वजन वहां पहुंच गए। उन्होंने बताया कि इतना पैसा लगाकर उन्होंने शादी की है। अब वह उसे कैसे अपने घर रख सकते हैं। उनकी और भी बेटियां हैं। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक एश्वर्य पाल ने बताया कि विवाहिता को समझा बुझाकर शांत कराया गया। उसके स्वजन से भी कहा गया कि उसे प्यार से समझाएं बुझाएं। उसके साथ जबरदस्ती न करें। इसके बाद स्वजन विवाहिता को अपने साथ ले गए।
चार साल बाद छात्रों को मिलेंगी निश्शुल्क पुस्तकें
वहीं चार साल बाद प्रदेश में कक्षा एक से 12वीं तक छात्र-छात्राओं को सरकारी, सहायताप्राप्त अशासकीय विद्यालयों में मुफ्त पाठ्यपुस्तकें मिल सकेंगी। नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत से ही विद्यार्थियों को पुस्तकें उपलब्ध होंगी। कक्षा एक से आठवीं तक सभी छात्र-छात्राओं और नौवीं से 12वीं तक सभी छात्राओं के साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्रों को मुफ्त पाठ्यपुस्तकें दी जाती हैं। अब यह भी तय किया गया है कि सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा नौ से 12वीं तक अध्ययनरत सामान्य व पिछड़ी जाति के छात्र-छात्राओं को भी निश्शुल्क पाठ्यपुस्तकें दी जाएंगी।