राजनीति
भइये इस बार ढाई-ढाई साल के हेंगे विधायक!
मनोज लोहनी
चुनावी चकल्लस में हर वक्त कुछ नया निकल रहा। सवाल एक ही है कौन जीत रहा, किसकी सरकार? तो जितने समर्थक उनके विधायक, मंत्री। मेरे विधायक, तेरे विधायक, इसके विधायक, उसके विधायक, चचा विधायक, चाची विधायक, ताऊ विधायक, मामा विधायक….। तो अब जो जोरदार बात आ रही है वह यह कि दो अलग-अलग नेता समर्थकों की अपने नेता के लिए यह समर्थन की पराकाष्ठा तो है ही, यह भी बता दिया जा रहा है कि दोनों के बीच मुकाबला कितना कड़ा है। फोन आया एक समर्थक के पास तो पूछा, कौन जीतरिया? हमारा वाला जीतेगा….। अमां छोड़ो हमारा जीतरिया…। हमारा-तुम्हारा काफी देर तक चली। दोनों के समर्थक कुछ समझदार भी थे। तो दोनों से पूछा कि सही बताओ कौन जीतरिया? अब मामला टक्कर का था, और टक्कर बड़े जोर की…ऐसी कि कोई किसी नतीजे तक नहीं पहुंचा। तो यहां से एक नया जुमला निकला…ऐसा हो तुम्हारे और हमारे वाले बारी-बारी से ढाई-ढाई साल के लिए होंगे विधायक! भारतीय राजनीति में चकल्लस की जितनी गुंजाइश रहती है, शायद उतनी कहीं और नहीं….। इसीलिए ऐसी बात निकली कि न तुम्हारी, न हमारी, दोनों और हमने इसे जुमला बना दिया…ढाई-ढाई साल के लिए दोनों विधायक। बाकी आपकी मर्जी…प्रणाम।