उत्तराखण्ड
संपत्ति के लिए हैवान बना दामाद, 4 ससुरालियों की हत्या के बाद घर में ही दफना दी थी सबकी लाश
रुदपुर: उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुद ट्रांजिट कैंप क्षेत्र के राजा काॅलोनी में 28 अगस्त 2020 चार लोगों की हत्या का मामला याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं। दामाद ने पत्नी के साथ मिलकर अपनी सास, ससुर और दो साली की हत्या कर दी और शवों को मकान के अंदर ही दफना दिया। ससुर की संपत्ति हथियाने की मंशा से दामाद व उसकी बेटी ने ही हत्याकांड काे अंजाम दिया था।
बरेली के मीरगंज निवासी हीरालाल अपनी पत्नी हेमवती और तीन पुत्रियों लीलावती (35), पार्वती (24) और दुर्गा (20) के साथ ऊधमसिंह नगर के ट्रांजिट कैंप में मकान बनवाकर रहते थे। मीरगंज के ही नरेंद्र गंगवार ने सात साल पहले लीलावती से प्रेम विवाह कर लिया और हीरालाल के ट्रांजिट कैंप स्थित आवास पर ही रहने लगा।
2015 में कुछ अनबन होने के बाद हीरालाल ने नरेंद्र और लीलावती को घर से निकाल दिया। उसके बाद नरेंद्र ट्रांजिट कैंप में ही किराए के मकान में रहने लगा। पुलिस के मुताबिक उसी समय नरेंद्र और उसकी पत्नी ने योजना बनाई कि हीरालाल को परिवार समेत खत्म कर दिया जाए और बरेली के मीरगंज समेत ट्रांजिट कैंप की संपत्ति पर कब्जा कर लिया जाए।
संपत्ति नाम कराने पर हुआ शक
योजना के मुताबिक नरेंद्र और लीलावती ने डेढ़ साल पूर्व हीरालाल, हेमवती, पार्वती और दुर्गा को उनके घर में घुसकर मार दिया और उन्हीं के मकान में शव भी दफना दिया। कुछ दिन पूर्व दोनों ने बरेली के मीरगंज स्थित जमीन और मकान को अपने नाम कराने का प्रयास शुरू कर दिया। इस की सूचना मिलने पर रिश्तेदारों को शक हुआ और उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी।
यूं पकड़ा गया मामला
नरेन्द्र के ससुर हीरालाल का बरेली के मीरगंज में मकान और 12 बीघा खेत है। जिसकी देख रेख वहां दुर्गाप्रसाद करते हैं। नरेन्द्र का उसी प्रॉपर्टी को अपने नाम कराने को लेकर सास-सुर से विवाद हुआ था। उसके बाद ही वह और उसकी पत्नी बच्चों के साथ रुद्रपुर स्थित ट्रांजिट कैंप वाले मकान से निकलकर अलग रहने लगे थे।
अगस्त में नरेन्द्र बरेली मीरगंज गया था। जहां मकान और खेतों की देख रेख कर रहे दुर्गाप्रसाद से उसने बताया कि उसके ससुर और साली की मौत हो चुकी है। जिनका उसने पिछले साल ही अंतिम संस्कार कर दिया था। जबकि सास और सली एक साल से लापता हैं।
लिहाजा वह प्रॉपर्टी अब नरेन्द्र के नाम कर दें। दुर्गा प्रसाद को नरेन्द्र की बात पर संदेह हुआ। जिसके बाद वे रुद्रपुर आ गए। आसपास के लोगों से पूछताछ की पता चला कि मकान एक साल से बंद है। उन्होंने मामले की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने जब हिरासत में लेकर पूछताछ की तो नरेन्द्र ने पत्नी और साथी विजय के साथ मिलकर हत्या की बात कुबूली।
46 बीघा जमीन बेच चुके थे हीरालाल
बरेली के फतेहगंज और मीरगंज में 30-30 बीघा के स्वामी हीरालाल 46 बीघा जमीन बेच चुके थे। जबकि 14 बीघा जमीन बटाई में दी थी। परिवार का खर्चा वह बटाई में दी जमीन से मिलने वाले रुपये और अनाज के साथ ही रुद्रपुर ट्रांजिट कैंप में प्रापर्टी डीलिंग के काम के जरिए करते थे।
रुद्रपुर में बनाया मकान
मूलरूप से पैगा नगरी, तहसील मीरगंज, बरेली निवासी हीरालाल 2007 में पत्नी हेमवती, बड़ी पुत्री लीलावती, छोटी पुत्री पार्वती और दुर्गा के साथ ट्रांजिट कैंप आ गए थे। हीरालाल की मीरगंज में 30 बीघा जमीन के साथ ही एक मकान था। जबकि ग्राम अगरास, फतेहगंज, बरेली में भी 30 बीघा जमीन थी। फतेजगंज की जमीन बेचकर उन्होंने ट्रांजिट कैंप रुद्रपुर में प्लाट खरीदकर मकान बनाया था। बाद में मीरगंज की भी 16 बीघा जमीन बेच दी थी।
2008 में पुत्री लीलावती ने प्रेम विवाह किया तो वह पुत्री से नाराज रहने लगे थे। मजबूरी में प्रेम विवाह के बाद पुत्री और दामाद नरेंद्र गंगवार को अपने साथ रखा। जब नरेंद्र संपत्ति को लेकर विवाद करने लगा तो उन्हें अलग कर दिया।
नरेंद्र को लगता था कि उसके ससुर हीरालाल ने 46 बीघा जमीन बेची है तो उनके पास खूब दौलत है। इसी दौलत और मीरगंज की जमीन तथा मकान कब्जाने के लिए उसने किराएदार विजय के साथ हत्या का षड़यंत्र रच दिया।