राजनीति
पुष्कर धामी को मिल सकती है दोबारा कमान, जिसके वह हकदार भी
मनोज लोहनी
हल्द्वानी। प्रदेश में अब मुख्यमंत्री कौन? इस वक्त उत्तराखंड की राजनीति के लिए सबसे बड़ा सवाल यही है। मुमकिन है कि आज देर शाम तक इस सवाल का हल भी लोगों को मिल जाए। निवर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी विधानसभा सीट खटीमा से भले ही विधानसभा का चुनाव हार गए हों, मगर सीएम बननने के लिए उनकी रेटिंग किसी भी लिहाज से कम नहीं हुई है। यह भी तय माना जा रहा है कि भाजपा हाईकमान पुष्कर सिंह धामी को दोबारा उत्तराखंड की कमान सौंपने जा रहा है, जिसके पीछे कुछ ठोस कारण भी हैं।
याद कीजिए जब त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम पद से हटाया गया, तीरथ सिंह रावत को गद्दी सौंपी गई। मगर उन्हें सीएम बनाने के बाद कुछ कारणों के चलते भाजपा हाईकमान असहज हो गया था। इतना असहज की सीएम बदलने तक की मजबूरी आ चुकी थी। चूंकि इससे पहले तमाम वरिष्ठ नेताओं को हाईकमान देख चुका था, लिहाजा तय हुआ कि इस बार कमान किसी युवा के हाथों होगी। इसके लिए चयन हुआ खटीमा के विधायक पुष्कर सिंह धामी के नाम का। यहां दिक्कत यह थी कि कुछ ही समय अंतराल में भाजपा ने लगातार मुख्यमंत्री बदले, और आखिर में जिसे राज्य की कमान सौंपी गई, उनके लिए सरकार दोबारा लाना सबसे बड़ी चुनौती, वह भी तब जबकि उत्तराखंड के अब तक के इतिहास में कोई भी सरकार दोबारा सत्ता में नहीं लौटी। सीएम बदला गया और पुष्कर सिंह धामी के रूप में राज्य को एक युवा मुख्यमंत्री मिला। अब बहुत सारा डैमेज कंट्रोल करना बाकी था। निर्णय लेने की क्षमता के साथ ही यह सब होना संभव था, लिहाजा पुष्कर सिंह धामी ने कुर्सी संभालते ही पहला बड़ा निर्णय मुख्य सचिव के रूप में केंद्र से एएस संधु को बुलाकर किया, तो उनके इरादे साफ थे। फिर तमाम बड़े निर्णय हुए, देवस्थानाम बोर्ड की वापसी जैसा बड़ा निर्णय भी। यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने की बात वह कह चुके थे। सरकार के स्तर से तमाम निर्णय हुए। अभी यह सब चलता ही कि चुनावी आचार संहिता सिर पर आ गई थी। फिर चुनाव और टिकट बंटे। यहां से युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी की असली परीक्षा होने वाली थी। टिकट कटने से नाराज तमाम नेता निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडऩे को तैयार थे। तो चुनाव के दौरान सीएम धामी के शुरुआती समय तमाम बागियों को मनाने में निकल गया, और उन्होंने तमाम बागियों को मनाया भी। फिर चुनाव प्रचार में अपने क्षेत्र में कम, सीएम धामी ने यह तय किया कि जिन भी नए लोगों को पार्टी ने मौका दिया है उनके क्षेत्र में प्रचार किया जाए। इसका नतीजा यह रहा कि ज्यादातर नए चेहरों ने चुनाव में जीत हासिल की है। जाहिर अपनी विधानसभा को वह समय नहीं दे पाए, और उन्हें हार मिली, मगर प्रदेश में भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ वापस हुई। लोगों के बीच में यह चर्चा आम थी कि प्रदेश में भाजपा को दोबारा सत्ता में लौटना मुश्किल है, मगर सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ऐसा संभव हुआ है, वह भी पहली बार। जाहिर है हाईकमान इन बातों को समझता तो है ही, लिहाजा यह भी तय माना जा रहा है कि सीएम धामी को दोबारा प्रदेश की कमान सौंपी जाएगी।