Connect with us

धर्म-संस्कृति

Sawan 2022: कावड़ यात्रा के अलावा भगवान शिव की ये यात्राएं भी है प्रसिद्ध, क्या आप गए हैं इन जगहों पर?

खबर शेयर करें -

Sawan 2022: सावन मास में कांवड़ यात्रा का काफी अधिक महत्व है। इस यात्रा में भक्तगण बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। देश के हर राज्य के शहरों में नजदीकी ज्योतिर्लिंगों की ओर रुख करते हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि भगवान शिव के प्रिय माह सावन में कांवड़ यात्रा के अलावा और भी यात्राएं है जो पूरे साल के चुनिंदा महीनों में शुरू होती है। इन यात्राओं में भी भक्त भगवान शिव के दर्शन पूरी श्रद्धा से करते हैं। जानिए इन यात्राओं के बारे में।

jagran

अमरनाथ यात्रा

हिंदू धर्म में माना जाता है कि मोक्ष की प्राप्ति के लिए अमरनाथ यात्रा जरूर करनी चाहिए। अमरनाथ को भी सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक माना जाता है। इसकी शुरुआत पहलगाम से होती है। हर साल प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनता है। इस पवित्र गुफा की लंबाई 19 मीटर, चौड़ाई 16 मीटर और ऊंचाई 11 मीटर है। यह शिवलिंग चंद्रमा की रोशनी के साथ बढ़ता और घटता रहता है। इसी कारण श्रावण शुक्ल पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन पर शिवलिंग पूर्ण आकार में होता है और उसके बाद आने वाली अमावस्या तक इसका आकार लगातार घटता जाता है। इस साल 30 जून से शुरू होने वाले बाबा बर्फानी की यह यात्रा 11 अगस्त 2022 को समाप्त हो जाएगा। करीब 43 दिनों की यह यात्रा काफी कठिन मानी जाती है।

jagran

श्रीखंड महादेव यात्रा

भगवान शिव के सभी धार्मिक स्थलों में से इसे सबसे ऊंचा स्थल श्रीखंड महादेव का मंदिर माना जाता है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है। बता दें कि यह 18, 300 फीट की ऊंचाई में स्थित है। इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने के लिए व्यक्ति को करीब 35 किमी खड़ी सीधी चढ़ाई करनी पड़ेगी। जो हर एक व्यक्ति के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। श्रीखंड महादेव मंदिर के रास्ते में अनेक धार्मिक स्थल भी मौजूद है जिसमें प्राकृतिक शिव गुफा, निरमंड में सात मंदिर, जावों में माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मंदिर, हनुमान मंदिर अरसु आदि हैं। श्रीखंड यात्रा इस साल 11 जुलाई से शुरू हो चुकी है जो 24 जुलाई 2022 तक होगी। इस यात्रा में जाने के लिए भक्त को शिमला जाना होगा। इसके बाद रामपुर बुशहर जाना होगा जहां से जाओं गांव के लिए बस मिलेगी। यहीं से श्रीखंड यात्रा का ट्रैक शुरू है।

jagran

मणिमहेश यात्रा

हिमाचल की पीर पंजाल की पहाडिय़ों के पूर्वी हिस्से में तहसील भरमौर में प्रसिद्ध मणिमहेश तीर्थ स्थित है। यहां पर भगवान शिव के दर्शन मणि रूप में होंगे। इसी कारण इसे मणिमहेश कहा जाता है। इसके साथ ही धौलाधार, पांगी और जांस्कर पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा कैलाश पर्वत को मणिमहेश कैलाश के नाम से जाना जाता है। समुद्र तल से लगभग 13,500 फीट की ऊंचाई में मणिमहेश नाम की पवित्र सरोवर स्थित है। मणि महेश की यात्रा श्री कृष्ण जन्माष्टमी से शुरू होकर राधाष्टमी तक होती है। यह पर पवित्र मणिमहेश झील में स्नान के बाद कैलाश पर्वत के दर्शन करने हर साल लाखों भक्त पहुंचते हैं। मणिमहेश तक पहुंचने के लिए भक्त हड़सर नामक स्थान तक अपने वाहन आदि से आ सकता है। इसके बाद करीब 13 किलोमीटर पैदल यात्रा शुरू होती है।

jagran

कैलाश मानसरोवर यात्रा

कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए हर व्यक्ति जाना चाहता है। क्योंकि यह जगह भगवान शिव का निवास स्थान है। इसके अलावा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी यह पवित्र जगह है। कैलाश मानसरोवर पहुंचने के लिए तीन अलग-अलग राजमार्ग- लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड), नाथू ला दर्रा (सिक्किम) और काठमांडू का इस्तेमाल किया जाता है। इन तीनों ही रास्तों को काफी जोखिम भरा माना जाता है। इसमें करीब 25 दिन का समय लगता है। इस यात्रा की शुरुआत मई और सितंबर के महीनों के बीच की जाती है। कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित एक पर्वत श्रेणी है। इसके पश्चिम दिशा में मानसरोवर है।

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

More in धर्म-संस्कृति

Recent Posts

Facebook

Advertisement

Trending Posts

You cannot copy content of this page