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व्यंग्य_जनता की सेवा के लिए पार्टी से बगावत जरूरी है…सिद्ध करें

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मनोज लोहनी
जैसा कि जनता को पता है कि जनता की सेवा करना नेता का जन्म सिद्ध अधिकार है। जनता की सेवा करने के लिए नेता बहुत आतुर रहते हैं और इसके लिए हर हाल में कार्यकर्ता से कम से कम विधायक तक का सफर तय करना होता है। तो यह बात साफ है कि, कार्यकर्ता चुनाव लड़ेंगे क्योंकि यह कार्यकर्ता का जन्मसिद्ध अधिकार है…। इसलिए कि जनता की सेवा करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। अब जनता की सेवा करने की इस आतुरता में दरी बिछाने से लेकर नेता बनने तक के बीच कुछ जरूरी कदम उठाने होते हैं, जो कि आगे के सूत्रों में स्पष्ट होंगे।
राजनीति का प्रथम सूत्र कहता है: जनता की सेवा करने के लिए राजनीति से गंभीर और सही रास्ता कोई और नहीं हो सकता। लिहाजा इस सूत्र पर अमल करने के लिए पहले राजनीति में एक कार्यकर्ता बनकर कदम रखना होता। अब चूंकि जनता की सेवा नेता का जन्मसिद्ध अधिकार है तो इसके लिए चुनाव लडऩा और उससे पहले टिकट की लड़ाई बहुत ही जरूरी है। अत: टिकट की लड़ाई लडऩे के लिए पहले दावेदारी करना जरूरी हुआ। दावेदारी करने का सबसे पहले सूत्र है, प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से पार्टी हाईकमान तक अपनी दावेदारी पहुंचाना। यह दावेदारी कई बार अन्य दावेदारों में अपने किसी कदम से घुड़की के रूप में भी हो सकती है।
किसी भी कार्यकर्ता के शुरुआती दावेदारी के लक्षण निम्न हैं:

  • साथ में भले ही दी ही लोग हैं, मगर अपनी दावेदारी में निरंतन घूमते रहना।
  • विधानसभा क्षेत्र में रामायण, सुंदरकांड, कथा जैसे आयोजनों में निरंतर भागीदारी।
  • सामाजिक आयोजनों में जब-तब दिख पडऩा।
    इन चरणों के बाद जैसे-जैसे करीब आते हैं, दावेदारी को पुख्ता करने के लिए पोस्टर, बैनरों में छाए रहना। इसके लिए निम्न तरीके हैं:
  • चूंकि जनता, नेता के बधाई संदेशों के लिए हर पल आतुर रहती है इसलिए नए साल, उत्तरायणी, होली, दीपावली, ईद, क्रिसमस जैसे किसी भी पर्व पर बधाई संदेश।
  • किसी भी राजनीतिक घटनाक्रम के बाद पोस्टरबाजी।
  • अपने करीबी बड़े नेता के विधानसभा क्षेत्र में आने पर पोस्टर के माध्यम से उनका स्वागत करना ताकि यह बात उनके संज्ञान में रहे कि फलां भी दावेदार है।
    और दावेदारी का पराकाष्टा के रूप में टिकट बंटने से पहले का सबसे बड़ा सूत्र है, अपने क्षेत्र में सीधे चुनाव कार्यालय ही खोल देना। अब चंूकि जनता की सेवा राजनीति, राजनीति चुनाव से होती है, इसलिए जनता की सेवा का पुण्य किसी भी हाल में नहीं छूटे, इसलिए टिकट जरूरी है, भले ही इसके लिए फिर पार्टी से बगावत ही क्यों न करनी पड़ जाए।
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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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