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कांग्रेस में नया बवाल: प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा के करीबी को राज्यसभा चुनाव में उतारने पर छिड़ी रार

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पांच राज्यों के चुनाव में हार के बाद से एक बार फिर कलह का सामना कर रही कांग्रेस की मुश्किलें केरल ने और बढ़ा दी हैं। राज्य की एकमात्र राज्यसभा सीट पर कांग्रेस जीतने की स्थिति में है और उसके लिए हाईकमान ने पार्टी के सचिव श्रीनिवासन कृष्णन को नॉमिनेट कर दिया है। इसे लेकर स्टेट यूनिट में बवाल मच गया है। प्रदेश यूनिट के नेता इससे खफा हैं और उनकी ओर से लीडरशिप को कहा गया है कि वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे। स्टेट यूनिट की ओर से कहा गया है कि उनकी ओर से भेजे गए प्रस्ताव को महत्व दिया जाना चाहिए था। प्रदेश अध्यक्ष के. सुधाकरण ने पार्टी लीडरशिप से कहा है कि उनकी इच्छा है कि किसी युवा नेता को मौका मिले। 

स्टेट यूनिट की ओर से एम. लिजू का नाम सुझाया गया था, जो यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। फिलहाल उनके पास अलपुझा जिले के जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी है। सुधाकरण ने कहा कि हाईकमान की ओर से शुक्रवार को यह फैसला लिया गया था। इस फैसले के खिलाफ के सुधाकरण की राय का राज्य के कई और नेता भी समर्थन कर रहे हैं। बीते सप्ताह ही राज्यसभा सीट पर दावे के लिए सीनियर लीडर केवी थॉमस ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। लेकिन स्टेट यूनिट का कहना था कि किसी युवा नेता को मौका मिलना चाहिए। 

एक प्रस्ताव यह भी था कि किसी महिला नेता को उच्च सदन में भेजा जाए। इसकी वजह यह है कि केरल से बीते 5 दशकों में कोई महिला नेता राज्यसभा में नहीं रही है। लेकिन 58 वर्षीय श्रीनिवास कृष्णन के प्रस्ताव को लेकर नेताओं में रोष है। कृष्णन को प्रियंका गांधी और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा का करीबी माना जाता है। हाईकमान की ओर से उनके नाम का सुझाव दिया गया, जिस पर स्टेट यूनिट ने गहरी आपत्ति जाहिर की है। केरल के त्रिशूर के रहने वाले कृष्णन तेलंगाना के प्रभारी हैं और रॉबर्ट वाड्रा के मालिकाना हक वाली कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का भी हिस्सा हैं। 

सीनियर नेता बोले- शायद कांग्रेस गलतियों से नहीं सीखना चाहती

एक सीनियर नेता ने नाम न छापने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, ‘ऐसा लगता है कि पार्टी अब भी गलतियों से सीखना नहीं चाहती है। हम अब नॉमिनेशन की पॉलिटिक्स नहीं चलने देंगे। राज्य के किसी नेता को राज्यसभा में भेजना चाहिए। किसी भी नॉमिनेटेड नेता को यह मौका नहीं मिलना चाहिए।’ यहां तक कि सीनियर लीडर के. मुरलीधरण ने तो इसके खिलाफ सोनिया गांधी को खत ही लिख दिया है। उन्होंने चिट्ठी में कहा कि ऐसे नेता को राज्यसभा में नहीं भेजना चाहिए, जो विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में हार चुका हो।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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