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धर्म-संस्कृति

जानिए कौन सी राशि शनि साढ़ेसाती के आखिरी चरण से गुजरेगी, होगा कष्टों से निवारण

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शनि देव के क्रोध और कृपा की कहानियों से हम सभी अवगत हैं। इन्हें न्याय का देवता कहा जाता है जो व्यक्ति के साथ को कर्मों के हिसाब से न्याय करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि को सबसे महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। शनि को सबसे अधिक क्रोध करने वाला ग्रह भी कहा जाता है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ यह बड़े ही शांत और भावुक भी है। कुल सभी नौ ग्रहों में शनि देव की चाल बेहद धीमी होती है। यदि किसी व्यक्ति के ऊपर शनि के चलते अच्छे और बुरे दिन चल रहे हैं तो अच्छे दिनों की अवधि तो आनंददायक होती ही है। लेकिन जब बात आती है बुरे दिनों की तो यह कष्टदायक समय भी शनि देव की चाल के तरह ही धीमी गति से चलते हुए लंबे समय तक चलता रहता है। इस दौरान लोगों को काफी कष्टों का सामना करना पड़ता है। इससे बचने का तत्काल कोई उपाय भी आसानी से नहीं मिलता। इसका शिकार केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि बड़े -से -बड़े देवता  भी हुए हैं। शनि के प्रकोप से कोई बच नहीं पाया है। अपने कर्मों के अनुसार किसी को कम, तो किसी को अधिक दंड शनिदेव से जरूर मिला है। 

शनि को एक राशि से किसी अन्य दूसरी राशि में प्रवेश करने पर तकरीबन ढाई वर्ष तक का समय लग जाता है। शनि का यह राशि परिवर्तन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि किसी मनुष्य के ऊपर शनिदेव की कृपा होती है तो उसे रंक से राजा तक बनने में देरी नहीं लगती। शनिदेव किसी के ऊपर प्रसन्न होते हैं वह व्यक्ति इस संसार में तरह-तरह के सुखों का भोग करता है और जीवन में सभी सुख सुविधाओं का आनंद लेता है। लेकिन अगर किसी मनुष्य के ऊपर शनि की कुदृष्टि हो तो वह दर-दर की ठोकरें खाता फिरता है।

शनि का प्रकोप इतना तेज है किया जिस भी राशि में विराजते हैं, उस राशि के अलावा उसके आगे और पीछे की राशियों पर भी शनि की साढ़ेसाती का असर होता है। बात करें शनि की साढ़ेसाती के चरणों की तो यह तीन होते हैं और प्रत्येक चरण की समय सीमा लगभग ढाई साल तक की होती है। साढ़ेसाती के पहले चरण को उदय के नाम से जाना जाता है। दूसरे चरण को शिखर और तीसरे चरण को अस्त कहा जाता है। इन तीनों चरणों में पहले और दूसरे चरण में शनि की साढ़ेसाती के कारण मनुष्य को कई सारी मुश्किलों के दौर से गुजरना पड़ता है। हालांकि, तीसरे चरण में व्यक्ति का कष्ट धीरे-धीरे कम होता जाता है और व्यक्ति लाभ की ओर बढ़ता है। ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव अपने आखिरी चरण में मनुष्य को अपनी गलती सुधारने का मौका भी देते हैं।

                        वर्तमान समय में शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण कुंभ राशि के लोगों पर चल रहा है। दूसरा चरण मकर राशि के लोगों पर और तीसरा चरण जो कि अंतिम, धनु राशि पर चल रहा है। तीसरे चरण से चल रहे धनु राशि वालों के जातकों को अपनी गलती सुधारने का मौका मिलेगा। इस दौरान पहले की तुलना में अब उनके कष्टों का निवारण होगा। इसके अलावा कार्य क्षेत्र में भी सफलता मिल सकती है। शनि देव के आशीर्वाद से इस अवधि के दौरान नौकरी में तरक्की मिलने के आसार रहते हैं। जो भी पूर्व से रुके हुए अधूरे कार्य हैं, वह भी पूरे हो जाएंगे। शनि का अगला राशि परिवर्तन साल 2022 के 29 अप्रैल में होगा, जब वह मकर राशि से होते हुए कुंभ राशि में अपना गोचर करेंगे। शनि के चाल बदलने से धनु राशि के जातकों को साढ़ेसाती से राहत मिल जाएगी।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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