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उत्तराखण्ड

जानिए चुनाव में ऐसे प्रतिद्वंद्वी के बारे में, जो करते थे एक-दूजे का सहयोग

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उत्तरकाशी। Uttarakhand Election 2022 चुनावों में प्रतिद्वंद्वियों के बीच सौहार्द के अनेक किस्से सुनने को मिलते हैं। इन्हीं में उत्तरकाशी के भी कुछ किस्से हैं, जो कांग्रेस के टिकट पर उत्तरकाशी से तीन बार विधायक रहे किशन सिंह परमार, सीपीआइ नेता कमलाराम नौटियाल और जनसंघ नेता अतर सिंह नेगी से जुड़े हैं। चुनावी मैदान में ये तीनों नेता एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी जरूर रहे, लेकिन प्रतिद्वंद्विता के बीच तीनों एक-दूसरे की मदद भी पूरे मनोयोग से करते थे। राजनीतिक व वैचारिक मतभेद होने के बावजूद इनमें कभी रत्तीभर भी मनभेद नहीं रहा।

प्रतिद्वंद्वियों के बीच सौहार्द का यह किस्सा 1970 के दशक का है। तब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उत्तरकाशी विधानसभा से कांग्रेस के किशन सिंह परमार, भाजपा के अतर सिंह नेगी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से कमलाराम नौटियाल प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हुआ करते थे। इन तीनों नेताओं ने 1962, 1967 और 1969 में उत्तरकाशी से विधानसभा चुनाव लड़ा। कमलाराम और अतर सिंह के पास किशन सिंह की तुलना में अपेक्षाकृत संसाधन कम हुआ करते थे। लेकिन, तीनों में आपसी सौहार्द इतना मजबूत था कि चुनाव के दौरान भी ये प्रफुल्लित भाव से एक-दूसरे की मदद करते थे। प्रतिद्वंद्वियों के बीच इस तरह का सौंदर्यबोध चुनावों के दौरान कई बार सामने आया।

किस्सा : एक

स्व.कमलाराम की पत्नी कमला नौटियाल कहती हैं कि किशन सिंह चुनाव के दौरान सुबह-सुबह उनके घर उत्तरकाशी पहुंच जाते थे। कभी तो ऐसा भी होता था कि हम उन्हीं की आवाज से जागते थे। मुझसे कहते, ‘बहू कमलाराम को जगाओ, उसे आज अपने चुनाव प्रचार में नहीं जाना है क्या।’ उन्हें इस बात की हमेशा फिक्र रहती थी।

किस्सा : दो

कमला नौटियाल के अनुसार किशन सिंह परमार कहते, ‘बहू आज हम एक ही इलाके में चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं। मेरे लिए भी दो रोटी अलग से रख लेना। दोपहर में किसी एक जगह पर हम साथ खा लेंगे। ऐसा उन्होंने कई बार किया।’

किस्सा : तीन

कमला नौटियाल कहती हैं, देहरादून की नया जमाना प्रिंटिंग प्रेस में सभी प्रत्याशी अपने पोस्टर व पर्चे छपवाते थे। किशन सिंह के पास अपनी एंबेसडर कार थी। जब वह अपने पर्चे-पोस्टर लेने के लिए जाते तो इनके (कमलाराम) और अन्य प्रत्याशियों के पर्चे-पोस्टर व अन्य चुनाव सामग्री भी साथ लाकर उनके घरों तक पहुंचाते थे।

किस्सा : चार

जनसंघ के नेता स्व.अतर सिंह नेगी के पुत्र देवेंद्र नेगी कहते हैं कि राजनीति में प्रतिद्वंद्वी होने के बाद भी किशन सिंह व कमलाराम उनके घर उत्तरकाशी आते-जाते रहते थे। किशन सिंह से कई बार पिताजी कानूनी मामलों में सलाह-मशविरा भी कियाकरते थे। उनमें भाईचारा और सामाजिक सौहार्द का भाव बहुत अधिक था।

किस्सा : पांच

पत्रकार शीशपाल गुसाईं कहते हैं कि चुनाव के समय भी किशन सिंह और कमलाराम उत्तरकाशी में एक चाय की दुकान पर साथ बैठकर चर्चा करते थे। वह अपनी चुनावी दिनचर्या भी एक-दूसरे से साझा करते थे। वह कहते हैं कि किशन सिंह संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य भी रहे हैं। उन्होंने टिहरी लोकसभा सीट से पहला आम चुनाव भी कांग्रेस के टिकट पर लड़ा। पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से उनकी काफी निकटता रही। वह देहरादून बार संघ के अध्यक्ष भी रहे। तीन बार विधायक भी रहे।

ऐसा रहा प्रतिद्वंदियों के बीच मुकाबला

1962

उत्तरकाशी सीट पर कांग्रेस के किशन सिंह को 16132 वोट पड़े। जबकि, प्रतिद्वंद्वी सीपीआइ के कमलाराम नौटियाल को 3207 वोट। किशन सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में उप वनमंत्री भी रहे। उन्होंने 1965 में नेहरू पर्वतरोहण संस्थान की स्थापना भी की।

1967

में उत्तरकाशी सीट से कांग्रेस के किशन सिंह को 15365 वोट मिले, जबकि प्रतिद्वंद्वी सीपीआइ के कमलाराम नौटियाल को 7865 वोट मिले।

1969

में उत्तरकाशी से कांग्रेस के किशन सिंह परमार को 17180 वोट मिले, जबकि प्रतिद्वंदी सीपीआइ के कमला राम को 12169 वोट मिले।साभार न्यू मीडिया।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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