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इनकी राजनीति का ‘यश’ ऐसा कि हर बार मिली ‘संजीवनी’

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मनोज लोहनी/दया जोशी

  • पिता-पुत्र की जोड़ी की राजनीति के आगे पार्टी फोरम पड़ गया फीका
  • जीत की बुनियाद तय करती है इनकी राजनीतिक समझ और व्यवहार
    हल्द्वानी। माघ माह में यहां ठंड भले ही कड़ाके की ठंड चल रही है, मगर राजनीतिक उठापटक के बीच राजनीति का टंपरेटर खासा हाई है। दिल बदलते ही दल बदले जा रहे हैं और यह क्रम फिलहाल रुकता नहीं दिख रहा है। इस सबके बीच यहां की राजनीति में पिता-पुत्र की एक ऐसी जोड़ी है जिनकी अपनी राजनीति के आगे पार्टी फोरम के भी कई बार कोई मायने नहीं दिखते हैं। अपनी-अपनी विधानसभाओं में ऐसा रुतबा कि वह खुद तय करते हैं कि उन्हें अब कौन सा कदम उठाना है, क्योंकि उनकी जीत की बुनियाद उनकी राजनीतिक समझ और व्यवहार तय करती है। यशपाल आर्य, संजीव आर्य की यह जोड़ी जिस ढंग से अपने खास ‘प्लान ऑफ एक्शनÓ से काम करते हुए आगे बढ़ती है उससे इन्हें दलों में हाथों-हाथ इसलिए लिया जाता रहा है कि शायद इस जोड़ी ने जीत की गारंटी को ही अपना मंत्र बना दिया और इस बार भी हालात ऐसे ही हैं।
    ऐसा इसलिए कि कांग्रेस ने तय किया इस बार परिवारवाद नहीं चलेगा। मगर यशपाल-संजीव की जोड़ी के आगे बात फीकी पड़ जाती है, इसलिए इनकी बात सुनना कांग्रेस की मजबूरी। भाजपा में रहते हुए जब किसान आंदोलन की तपिश से भाजपा का कुनबे में पसीना आया तो शायद तभी कैबिनेट मंत्री रहते हुए भी यशपाल आर्य ने तय कर लिया था कि खुद और पुत्र की विधायिकी को अब छोडऩा होगा। ऐसा ही हुआ और कांग्रेस ने उन्हें हाथों-हाथ लेते देर नहीं लगाई। न किसी गुट से उनका मतलब न किसी से बैर की राजनीति, नतीजा यह कि पिता-पुत्र अब न केवल बाजपुर, नैनीताल विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं, बल्कि इनकी स्थिति भी काफी मजबूत बताई जाती है। हालांकि अभी टिकटों का बंटवारा नहीं हुआ है, मगर इन्हें टिकट तय बताए जा रहे हैं। यह बात साफ है कि जब यशपाल-संजीव ने कांग्रेस छोड़ी थी तब उनके साथ एक पूरा कुनबा भी भाजपा में था और अब कांग्रेस में आते ही वही विशाल कुनबा भी उनके साथ था। नैनीताल विधानसभा सीट पर इस वक्त संजीव आर्य की पकड़ काफी मजबूत है तो बाजपुर विधानसभा में यशपाल आर्य विरोधियों से काफी आगे हैं।
    कांग्रेस हो चाहे भाजपा, दोनों ही दलों ने पिता-पुत्र की हार बार सुनी और उनकी बातों पर अमल दोनों ही दलों को करना पड़ा। इसीलिए कि दलों को भी मालून था कि दोनों ही नेता अपने व्यवहार और कार्यशैली से लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।


सरिता के आने से और बढ़ेगी भाजपा में रार
नैनीताल। कांग्रेस महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्या के भाजपा में आने से भाजपा में टिकट के दावेदारों की संख्या और बढऩे के साथ ही अंदरखानी काफी असंतोष भी देखा जा रहा है। पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि नैनीताल सीट पर पैराशूट प्रत्याशी घोषित नहीं किया जा सकता है। पहले ही यहां से टिकट की दौड़ में हेम आर्य, दिनेश आर्या, मोहन पाल के नाम शामिल हैं। अब सरिता आर्या के आने से यह घमासान और बढ़ गया है। जाहिर है इन स्थििितयों का फायदा कांग्रेस को ही मिलना है।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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