राजनीति
चुनाव के बाद हरीश रावत का चुनाव बहिष्कार!
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस विधानसभा चुनाव में वोट का बहिष्कार करने के जनता के फैसले को उचित ठहराया है। उन्होंने कहा है कि जिन लोगों ने उनके गांवों का विकास न होने के चलते चुनाव का बहिष्कार किया वह बिलकुल उचित है। उन्होंने बिंदुखत्ता में एक शिलालेख बनवाकर बिंदुखत्ता निर्माण करने वाले लोगों का नाम अंकित करने की इच्छा भी जताई है। पढि़ए क्या लिखा है हरीश रावत ने….
कनार गांव पर हरीश रावत का बयान
कनार सहित कई गांवों में इस चुनाव में वोट नहीं डाला है, उनका गुस्सा उचित है, कनार का तो मैं साक्षी हूं, मुख्यमंत्री के रूप में मैंने फ ॉरेस्ट के अंदर से फ ॉरेस्ट को ही सड़क ले जाने की अनुमति दी थी और पैसा दिया था, लेकिन वह काम सत्ता परिवर्तन के साथ हो नहीं पाया। कनार वासियों मैं आपसे क्षमा प्रार्थी हूं यदि कभी कनार की देवी ने मेरे ऊपर कृपा की, मेरे हाथ में बागडोर आई तो मैं कनार के लिए सड़क का निर्माण अवश्य करूंगा और उसी तरीके से जिन गांवों ने भी बहिष्कार किया है, कांग्रेस सत्ता में आएगी हम उन गांवों के साथ संवाद प्रारंभ करेंगे और जिस कारण उन्होंने अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग नहीं किया, उस कारण का निदान करेंगे।
बिंदुखत्ता के लिए क्या कहा
बिंदुखत्ता, उत्तराखंडी स्वाभिमान और पराक्रम का प्रतीक है, जहां भूमिहीन लोग हैं जिनके पास कुछ नहीं था, मगर जीवन था, दांव पर लगा दिया और आज का बिन्दुखत्ता उनकी देन है। मेरी हार्दिक इच्छा है कि मैं, शहीद मोहन गिरी गोस्वामी जी के नाम पर जो स्टेडियम बने, उस स्टेडियम में एक बड़ा शिलालेख अपनी विधायक निधि से बनाऊं यदि विधायक चुना गया, जिस शिलालेख में मैं उन पराक्रमी पुरुषों का नाम अंकित करना चाहता हूं जिन्होंने प्राथमिक चरण में बिंदुखत्ता को बसाया और अपना सब कुछ अर्पित करके संघर्ष को आगे बढ़ाया और आज के बिंदुखत्ता की बुनियाद डाली।