Connect with us

पश्चिम बंगाल

बंगाल स्कूल भर्ती घोटाला: पार्थ चटर्जी का दावा जब्त किया गया पैसा मेरा नहीं, ‘साजिशकर्ता तय समय में होंगे बेनकाब’

खबर शेयर करें -
हाइलाइट्स
1.मेडिकल चेकअप के लिए ले जाते समय चटर्जी ने संवाददाताओं से कहा कि जब्ती का पैसा मेरा नहीं है.
2.क्या कोई उनके खिलाफ साजिश कर रहा है, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा 'समय आने पर आपको पता चल जाएगा’.
3.बाद में अस्पताल से बाहर निकलने के बाद उन्होंने एक बार फिर कहा कि वह "इस तरह के लेन-देन में कभी शामिल नहीं थे”.

करोड़ों रुपए के पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती घोटाले के केंद्र में रहे पश्चिम बंगाल के बर्खास्त मंत्री पार्थ चटर्जी ने दावा किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा छापेमारी के दौरान जब्त की गई नकदी उनकी नहीं थी. ईडी की ताजा छापेमारी में चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी से जुड़ी कंपनियों के बैंक खातों से 8 करोड़ रुपए की जब्ती की गई है. केंद्रीय एजेंसी की जांच से पता चला है कि मुखर्जी के स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियों के माध्यम से भारी मात्रा में मनी लांड्रिंग किया गया था. यह जब्ती एजेंसी द्वारा शनिवार को मुखर्जी के बैंक खातों को फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू करने के बाद हुई है.

मेडिकल चेकअप के लिए ले जाते समय चटर्जी ने संवाददाताओं से कहा कि जब्ती का पैसा मेरा नहीं है. क्या कोई उनके खिलाफ साजिश कर रहा है, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा ‘समय आने पर आपको पता चल जाएगा’. बाद में अस्पताल से बाहर निकलने के बाद उन्होंने एक बार फिर कहा कि वह “इस तरह के लेन-देन में कभी शामिल नहीं थे”.

ताजा छापेमारी में मिले 2 करोड़ रुपए 
ईडी ने पहले सोने के साथ करीब 50 करोड़ रुपए नकद बरामद किए थे. जिसकी कीमत अभी भी पता लगाई जा रही है. साथ ही मुखर्जी से जुड़े अपार्टमेंट से संपत्ति के दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं. ताजा छापेमारी में जब्ती पर ईडी ने कहा कि उसे पार्थ चटर्जी के सहयोगी से जुड़े कम से कम तीन बैंक खातों में 2 करोड़ रुपए मिले हैं. अधिकारियों ने बताया कि मुखर्जी की कई शेल कंपनियों के बैंक खाते भी ईडी की जांच के दायरे में हैं.

चटर्जी और मुखर्जी ने संयुक्त रूप से 7 कट्ठा का खरीदा था प्लॉट 
सीएनएन-न्यूज 18 द्वारा एक्सेस किए गए रिकॉर्ड से पता चला है कि चटर्जी और मुखर्जी ने संयुक्त रूप से बोलपुर में शांतिनिकेतन के पास श्यामबती मौजा में एक 7 कट्ठा का प्लॉट भी खरीदा था. रिकॉर्ड के मुताबिक प्लॉट 20 जनवरी 2012 को मंत्री और उनके सहयोगी ने संयुक्त रूप से खरीदा था.

सरकारी रिकॉर्ड में चटर्जी का नाम रहस्यमय तरीके से गायब 
फिलहाल प्लॉट पर एक मंजिला आवासीय फार्महाउस-शैली की इमारत खड़ी है. इस इमारत का नाम ‘आपा’ है. दिलचस्प बात यह है कि ‘अपा’ नाम में अर्पिता और पार्थ के बांग्ला वर्णमाला के पहले दो अक्षर शामिल हैं. हालांकि सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार संपत्ति का स्वामित्व अकेले मुखर्जी के पास है. जब संपत्ति को 2020 में सरकारी रिकॉर्ड के लिए रूपांतरित किया गया था तो चटर्जी का नाम रहस्यमय तरीके से गायब हो गया.

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

More in पश्चिम बंगाल

Recent Posts

Facebook

Advertisement

Trending Posts

You cannot copy content of this page