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बीएसएफ की नौकरी छोड़ राम मारवाड़ी बन गया कंपनी का एमडी, 100 करोड़ की ठगी कर हो गया फरार, अब दुष्कर्म में हुआ गिरफ्तार

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नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने 100 करोड़ से ज्यादा रुपये की ठगी में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व रसोइया को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने अमीर बनने के लिए बीएसएफ की नौकरी छोड़ दी थी। उसने अमीर बनने के लिए ठगी का रास्ता चुना। उसने मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी खोल कर राजस्थान में हजारों लोगों से 100 करोड़ से ज्यादी की ठगी की और फरार हो गया। आरोपी ओमाराम उर्फ राम मारवाड़ी के खिलाफ ठगी के 59 मामले दर्ज हैं। कोर्ट ने आरोपी को 46 केसों में भगोड़ा घोषित किया हुआ है। उसके खिलाफ 2008 से 2011 तक कुल 49 मामले दर्ज हो रखे हैं। एसीपी अनिल शर्मा की टीम ने छह महीने के प्रयास के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया है।
अपराध शाखा के पुलिस अधिकारियों के अनुसार अपराध शाखा की टीम को सूचना मिली थी कि जोधपुर, राजस्थान निवासी ओमा राम उर्फ राम मारवाड़ी (38) ठगी के 59 मामलों में शामिल है। कई मामलों में उसके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हो रखा है। वह इन मामलों में लगातार फरार चल रहा है। राजस्थान पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर इनाम भी घोषित किया हुआ है। पुलिस को जांच में पता लगा कि वह नॉर्मल कॉल नहीं करता है, बल्कि सोशल मीडिया एप के जरिए अपने परिजन व दोस्तों से बात करता है। पुलिस टीम को करीब छह महीने की जांच के बाद पता लगा कि ओमाराम सेक्टर-11 मौजूद है। पुलिस के पास उसकी तस्वीर नहीं थी। पुलिस को ये पता लगा कि आरोपी नजफगढ़ में दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार हुआ था। एसीपी अनिल शर्मा की देखरेख में इंस्पेक्टर सतीश मलिक, एसाअई जितेंद्र माथुर ओर हवलदार नितिन कुमार की टीम गठित की गई। इस पुलिस टीम ने आरोपी को ओमा राम को रोहिणी से 28 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया।

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आरोपी ने पूछताछ में बताया कि वह पहले बीएसएफ में रसोइया की नौकरी करता था। साल 2007 में उसने जयपुर में सिक्योरिटी एजेंसी खोली। उसमें उसने 60 कर्मचारियों को रखा। बाद में उसने ये कंपनी एक्स-सर्विसमैन राकेश मोहन को बेच दी। इसके बाद बाद उसने मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी मिताशी मार्केटिंग एंड कंसलटेंसी प्राइवेट लिमिटेड में एजेंट के तौर पर काम किया। उसने यहां डेढ़ करोड़ रुपये कमाए। साल 2008 में उसने अपनी नई कंपनी मिताशी ट्रेड लिंक एंड प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी खोली। यह कंपनी में एमडी था। कंपनी में विजेंद्र सिंह चेमरमैन, डीसी यादव एग्जीक्यूटिव डायेरक्टर, मदनमोहन मीणा डायरेक्टर के पर कार्यरत था। यह कंपनी नए सदस्यों को लाने पर कमीशन देती थी। नए सदस्य को 4000 रुपये जमा कराने होते थे। ज्वाइनिंग करने पर उसे 400 रुपये का एक सफारी सूट दिया जाता था।

प्रत्येक व्यक्ति को आगे कम से कम 10 लोगों को जोड़ना होता था। ये एक वर्ष तक प्रत्यके महीने दो लाख रुपये का व्यवसाय देने का वादा करता था। साथ में एक मोटरसाइकिल भी देता था। इस तरीके से हजारों लोगों ने कुछ ही समय में 100 करोड़ से ज्यादा की रकम जमा कर दी। इसके बाद आरोपी कंपनी को बंद कर फरार हो गया। वर्ष 2011 में उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हुए थे। इस कारण वह राजस्थान से भागकर इंदौर चला गया। वहां उसने एक को-ऑपरेटिव सोसाइटी का लाइसेंस लिया था। वहां पर वह राम मारवाड़ी के नाम से रहता था। यहां इसे घाटा हो गया तो वर्ष 2014 में ये दिल्ली आ गया। यहां पर प्रॉपर्टी का कारोबार करने लगा। वर्ष 2018 में इसने कैशबैक बाजार नाम से नजफगढ़ में ग्रॉसरी स्टोर खोला था, लेकर वह भी नहीं चला।

वर्ष 2020 में नजफगढ़ पुलिस ने उसे दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार किया था। उस समय इसने अपना नाम राम मारवाड़ी बताया था। इस कारण इसका भेद नहीं खुला था। वर्ष 2021 में इसने अपना कार्ट नाम से ई-कॉमर्स प्लेटफार्म शुरू किया। वह फिलहाल इंदौर में किराए के मकान में रहता था।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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