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प्लेन ऊंचाई पर पहुंचते ही सो जाते हैं दोनों पायलट, जाने क्यों?
अक्सर लोग लंबी यात्रा के लिए हवाई जहाज (Airplane) का विकल्प चुनना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि यह ट्रेन और बस से ज्यादा जल्दी एक शहर से दूसरे शहर तक पहुंचाने में सहायक होता है। और यही सबसे बड़ी वजह भी है कि लोग अब हवाई जहाज पर बैठकर यात्रा करना ज्यादा पसंद करते हैं। यदि आप भी अधिकांश लोगों की तरह हवाई यात्रा करते हैं या ऐसा प्लान करने की सोच रहे हैं तो आपको एयरप्लेन में बैठने से पहले इससे जुडी जानकारी मालूम होनी चाहिए।
प्लेन को ऊंचाई पर ले जाकर सो जाते हैं पायलट
जैसे बस के बस स्टैंड और ट्रेन के लिए रेलवे स्टेशन होता है ठीक उसी तरह से हवाई जहाज को उड़ाने के लिए एयर पोर्ट की जरुरत होती है। एयरपोर्ट पर बने लम्बे रनवे से उड़ाने भरने के बाद प्लेन आसमान में बादलों के बीच पहुंच जाता है। लेकिन इसके बाद इसे उड़ाने वाले दोनों ही पायलट सो जाते हैं। यह बात चौका देने वाली है क्योंकि आप सोच रहे होंगे कि अगर दोनों पायलट सो जाएंगे तो प्लेन कैसे उड़ रहा है? आपको बता दें आधुनिक युग में हम तकनीकी रूप से बहुत तेजी से आगे बढ़ चुके हैं। और यह प्लेन आधुनिक तकनीक से लैस होते हैं। जिसकी बदौलत पायलट प्लेन का आटो पायलट मोड़ ऑन कर देता है।
जिससे प्लेन स्वचालित रूप से उड़ान भर रहा होता है। लेकिन जैसे ही प्लेन अपने गंतव्य तक पहुंच जाता है तो उसे नीचे उतारने के एयरपोर्ट का रनवे देखना पड़ता है जो कि एक स्वचालित प्रक्रिया नहीं है। इससे पहले पायलट को सारा कंट्रोल अपने हाथ में लेना होता है। क्योंकि सुरक्षित लेंडिंग ही जरुरी होती है। इसके लिए पायलट को एकदम चौकन्ना रहना पडता है।