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उत्तराखंड के इस जिले से यूपी में सप्लाई होते हैं कछुए, बड़े लेवल पर की जाती है कछुओं की तस्करी.....

ऊधमसिंहनगर

उत्तराखंड: यहां धड़ल्ले से हो रही है कछुओं की तस्करी, इस बीमारी के लिए माना जाता है फायदेमंद

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उधमसिंह नगर: उत्‍तराखंड का ऊधम सिंह नगर के नाम कई अपराधिक घटनाएं हैं मगर इन दिनों यहां पर एक जानवर की तस्करी का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। इस जानवर की कीमत बाजार में बेहद अनमोल है। यह जगह कछुआ तस्करी का गढ़ बनने लगा है। और अब यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि किस राज्य से इस जानवर की तस्करी की जा रही है। वह राज्य है उत्तर प्रदेश। दरअसल उधम सिंह नगर और उत्तर प्रदेश की सीमाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं और इस वजह से यहां से लोग आराम से कछुए की तस्करी कर उत्तर प्रदेश से ला रहे हैं और यहां पर लाखों रुपए में कछुए को बेच रहे हैं।

कछुओं का मांस अस्थमा व श्वांस आदि बीमारियों के लिए लाभदायक माने जाने के चलते इसकी तस्करी और अधिक बढ़ गई है। उत्तर प्रदेश से तस्करी कर लाए जाने वाले कछुओं की सप्लाई दिनेशपुर, रुद्रपुर और शक्तिफार्म में सबसे अधिक हो रही है। इसके अलावा स्थानीय डैम से भी तस्कर इन्हें पकड़कर महंगे दामों में बेच रहे हैं। कछुओं के मांस से अस्थमा व श्वांस आदि बीमारियों के लिए लाभदायक माने जाने के चलते इसकी तस्करी और अधिक बढ़ गई है। पुलिस और वन विभाग के मुताबिक जिले में बरेली और कासगंज के साथ ही मैनपुरी, इटावा और रामपुर से आकर तस्करी करने वाले दो दर्जन मामलों का पर्दाफाश किया गया है। जिसमें 16 तस्कर गिरफ्तार कर उनसे 560 कछुए बरामद किए गए हैं।

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जानकारों के मुताबिक लोग अस्थमा, टीबी समेत कई बीमारियों में इसे लाभकारी मानते हुए भी इसका मांस खाते हैं। इसके अलावा घरों में समृद्धि के लिहाज से भी शोपीस के रूप में छोटे कछुओं को रखा जाता है। बीते बुधवार को दिनेशपुर थाना पुलिस ने 40 किलो के कछुए के साथ एक तस्कर को गिरफ्तार किया था, वहीं रुद्रपुर के रहने वाले तीन कछुआ तस्करों को उत्तर प्रदेश में भी गिरफ्तार किया गया है।

वह इटावा से उत्तराखंड के यूएस नगर में तस्करी कर कछुए लाने की फिराक में थे। इसी बीच यूपी वन विभाग ने रुद्रपुर निवासी राजेश चौहान, उत्तम दास व शुभम को गिरफ्तार कर लिया।कछुओं की कई प्रजातियों को रेड लिस्ट व वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की संरक्षित जीव की सूची में शामिल किया है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत इनकी तस्करी, उन्हें बेचना और रखना अपराध है।

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कछुओं की तस्करी करते पकड़े जाने पर तीन साल की सजा है। क्या आप यह जानते हैं कि कछुए का मांस बाजार में कितने किलो भाव से मिलता है? कछुओं का मांस जिले में पांच सौ रुपये से एक हजार रुपये किलो बिकता है। जबकि वर्ष, 2020 और 21 में लगे लॉकडाउन में कछुए का मांस 1500 से 2000 रुपये किलो के हिसाब से भी रुद्रपुर, दिनेशपुर और शक्तिफार्म क्षेत्र में बेचा गया था। कुल मिलाकर उधम सिंह नगर में कछुओं की तस्करी काफी अधिक बढ़ गई है और पुलिस इस पर रोकथाम लगाने का प्रयास कर रही है।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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