राजनीति
ये तो घाम भी मोदी के नाम का ही तापते हैं… मोदी से चार कदम आगे सोच देते हैं मोदी समर्थक…
मनोज लोहनी
यह पीड़ा एक मोदी विरोधी मानसिकता के आदमी की है। वह जहां रहते हैं वहां उनके परिवार में लगभग सारे लोग ही मोदी समर्थक हैं…समर्थक ही नहीं घोर समर्थक। इनके बीच में मैं जैसे रह रहा हूं, मैं ही जानता हूं…, यह उनकी घोर मार्मिक पीड़ा है। जाहिर है, चुनाव चल रहा है, तो मोदी समर्थक भला चुप कैसे रहेंगे? जाड़ों के दिन हैं, सुबह धूप निकलने की देर ठैरी…। धूप आते ही बरंडे में मोदी व्याख्यान शुरू…। इनका बस चले तो यह कह दें कि ये बादल छंटने के बाद जो धूप आ रही है न, यह भी मोदी जी की वजह से ही आ रही है। पराकाष्ठा है, समर्थन की। मैंने कुछ बोला तो चचा बोले, तुम क्या समझोगे मोदी जी को। मोदी जी की जो योजनाएं हैं, जितना शायद मोदी जी नहीं जानते हैं, उनसे ज्यादा उनके समर्थकों को इस बात का पता रहता है, उन्होंने आगे जोड़ा। ये सारे लोग भी वो हैं जिन्हें सरकारी पेंशन मिल री ठैरी, जिम्मेदारी कुछ हुई नहीं, सुबह उठे, नहाया धोया और फिर वही मोदी मोदी। जब दिन में खाने का टाइम होता है तब मोदी सभा विसर्जित होती है…वह और भी घोर पीड़ा में बोले। इधर मोदी व्याख्यान चालू है, उधर बाहर ई-रिक्शा में डॉ. जोगेंद्र रौतेला का प्रचार करते हुए वाहन जा रहा है, गाना चल रहा है…जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे…। देखा, ये हुई बात…। मोदी, योगी हैं तो, तभी ये सब हो रहा है, चाय की चुस्की मारते हुए चचा कह रहे हैं…। फिर और खार में बोले, मोदी को भी उनकी योजनाओं का पता नहीं होता होगा, इन्हें उससे ज्यादा पता होता है। कोई है बल पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ…दिन भर उसके वीडियो अलग चलने वाले हुए इनके…मैं तो…लगभग माथा पीटते हुए वह बोले। खैर मैं उनके इस दर्द को भला कैसे समझूं…। अब इन्हें कोई मलहम कैसे लगाए ये मुझ नी मालूम…नमस्कार।