उत्तराखण्ड
विशेष: महानगर का रूप लेते हल्द्वानी को संवारते महापौर डॉ. रौतेला
…मिथक टूटा इतिहास बना
मनोज लोहनी
मिथक टूटते हैं, इतिहास बनता है और राजनीति में मिथक टूटने का यह इतिहास केवल और केवल जनता बनाती है। उसी जनता की उम्मीदों पर खरा उतरकर एक राजनेता राजनीति की सीढिय़ां चढ़ता है और खुद को स्थापित करता उन्हीं कार्यों के लिए जिसके लिए जनता उसे सम्मान देती है। हल्द्वानी जब नगर पालिका बनी तो उसके बाद १९७१ का वह साल आया जब यहां की जनता ने तत्कालीन पालिकाध्यक्ष हीराबल्लभ बेलवाल को दोबारा पालिकाध्यक्ष बनाया। इसके बाद यह इतिहास दोहराने में हल्द्वानी को ४६ साल लग गए। ऐसा कारनाम करने वाले दूसरे प्रथम नागरिक थे वर्तमान में महापौर डॉ. जोगेंद्र सिंह रौतेला जिन्होंने २०१३ के बाद २०१८ में लगातार महापौर पद पर जीत दर्ज कर इतिहास दोहाराने का कारनाम किया।
मेयर और प्रथम नागरिक अपने स्वभाव और कामकाज के तौर तरीकों से भी जनता के बीच रहने और उनके कार्य करने में प्रथम ही रहते हैं। उनसे बातचीत हुई और साक्षात्कार में उन्होंने फिर वही अपने सरल स्वभाव और शानदार कार्यशैली के साक्षात्कार कराया। सवाल सीधा था, बतौर मेयर खुद को कितना कामयाब मानते हैं और अपना मूल्यांकन किस तरह करते हैं? जवाब भी सीधा, किसी राजनेता का मूल्यांकन जनता ही तय करती है। वही बताएगी कि बतौर मेयर उन्होंने कैसा काम किया है…। जनता के लिए जनता के बीच उपलब्ध रहकर उनकी परेशानियों से संवाद ही उनका लक्ष्य रहता है फिर चाहे वह आवास हो या उनका कार्यालय…। यह कोई सुबह सात बजे का वक्त था जब मेयर आवास पर जनता की भीड़ जुटने लगी थी। हर हाथ में कोई न कोई कागज था और मन में एक उम्मीद यहां से खाली हाथ नहीं लौटने की। जनता की परेशानियों से यहां वाकई में सीधा संवाद था और शायद कहीं न कहीं यहां से संतोष और खुशी का भाव लिए निकल रही जनता उनका मूल्यांकन भी कर रही थी…यानि जनप्रतिनिध जनता से और जनता के लिए।
हल्द्वानी नगर निगम की एक बड़ी खासियत यह कि यह तीन विधानसभाओं की जनता का प्रतिनिधित्व करती है। कालाढूंगी विधानसभा के साथ खुद हल्द्वानी और लालकुआं विधानसभा का भी एक हिस्सा नगर निगम का हिस्सा है। तीन विधानसभाओं से घिरा निगम समस्याओं से न घिरे यह मेयर डॉ. जोगेंद्र रौतेला की कोशिश है, जैसा कि उन्होंने कहा…शहरीकरण के साथ पेयजल, सीवर, शहरों में अवस्थापना संबंधी कार्य तेजी के साथ किए जा रहे हैं और हल्द्वानी नगर निगम उनसे अछूता भला कैसे रह सकता है। पेयजल पुनर्गठन, ड्रैनेज सिस्टम, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, कैनाल कवरिंग, रोड बाइंडिग समेत तमाम काम जनता अपने सामने होता देख रही है। एक लाख मीट्रिक टन कूड़ा निस्तारण हर माह हो रहा है। प्रदेश का सबसे बड़ा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हल्द्वानी नगर निगम के पास है।
एमएससी कैमेस्ट्री रहे डॉ. जोगेंद्र रौतेला साइंटिफिक तरीके से ही समस्याओं के समाधान की भी कोशिश करते हैं। ऐसा इसलिए उनके पदभार ग्रहण करते वक्त नगर निगम समस्याओं का अंबार हुआ करता था। डॉ. रौतेला बोले, तब निगम के पास संसाधन बहुत कम थे। आय के साधन सीमित थे और कर्मचारी देयकों के चलते आए दिन यहां हड़ताल आम बात थी। मगर अब ऐसा नहीं है। अतिक्रमण का सवाल खुद में बहुत संजीदा होता है, मगर इस पर डॉ. रौतेला तानाशाही नहीं चाहते खासकर छोटे व्यापारियों के खिलाफ। वह कहते हैं, ठेला लगाना किसी की आजीविका का साधन है मगर यह जरूरी है कि ठेला चलायमान रहे, वेंडिंग जोन बने हैं, वहां किसी को कोई परेशान नहीं दी जा रही है।
भविष्य की क्या योजनाएं हैं, इस सवाल के जवाब में डॉ. रौतेला कहते हैं कि जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरते हुआ राजनीति की सीढ़ चढऩा और जनता की सेवा में लगे रहना उनकी योजना का हमेशा से हिस्सा रहा है। आगे भी ऐसी ही होगा और वह आने वाले चुनावों को उतनी ही गंभीरता से लेंगे जैसा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में अब तक किया है।एक सौ पांच हेक्टेयर में बनेगा सिटी फॉरेस्टहल्द्वानी। महापौर डॉ. जोगेंद्र सिंह रौतेला ने बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अवस्थापना संबंधी कार्यों के लिए निगमों को दो हजार करोड़ रुपये दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताते हुए वह कहते हैं कि शहरी विकास मंत्रालय और डबल इंजन की सरकार ने बहुत सार्थक कार्य किए हैं। बताया कि निगम रामपुर रोड में एक सौ पांच हेक्टेयर जगह में सिटी फॉरेस्ट बनाने जा रहा है जिसकी लागत एक करोड़ रुपये है। कहा कि बजट का सही दिशा में प्रयोग करना और मद का डायवर्जन न हो ऐसा उनका प्रयास रहता है।
Airplane
Copper wire, wood base. I created this piece in late 2008. For this work, I aimed to convey both the industrial heaviness of an airplane, but also the cloudlike floating quality you feel when you’re in one.