Connect with us

धर्म-संस्कृति

सोम प्रदोष व्रत कल, इस विधि से करें भगवान शंकर की अराधना, नोट कर लें पूजन सामग्री की लिस्ट और शुभ मुहूर्त

खबर शेयर करें -

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है। प्रदोष व्रत पर विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है। माघ माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 14 फरवरी को पड़ रहा है। इस दिन सोमवार है और सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री लिस्ट…

मुहूर्त-

माघ, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ – 06:42 पी एम, फरवरी 13

पंचांग-पुराण से
माघ, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त – 08:28 पी एम, फरवरी 14

प्रदोष काल- 06:10 पी एम से 08:28 पी एम

प्रदोष व्रत पूजा- विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
अगर संभव है तो व्रत करें।
भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव की आरती करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

प्रदोष व्रत का महत्व-

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है।
सोम प्रदोष व्रत करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
इस व्रत को करने से संतान पक्ष को लाभ होता है।
साप्ताहिक राशिफल : आने वाले सप्ताह में चमकेगा इन 5 राशियों का भाग्य, देखें क्या आपको भी होगा लाभ

प्रदोष व्रत पूजा- सामग्री-

पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

More in धर्म-संस्कृति

Recent Posts

Facebook

Advertisement

Trending Posts

You cannot copy content of this page