Connect with us

उत्तराखण्ड

अधीनस्थ सेवा आयोग ही विवादों में कैसे होगी नियुक्ति: यशपाल आर्य

खबर शेयर करें -

देहरादून। उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि  उत्तराखंड में सबसे अधिक भर्ती परीक्षाओं को कराने वाला , “उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ” विवादों के घेरे में है । आयोग द्वारा आयोजित लगभग हर परीक्षा में कुछ न कुछ कमी पाई गई हैं। सड़क से लेकर उत्तराखंड विधानसभा तक आयोग के काले कारनामों पर सबूतों के साथ चर्चा हो चुकी है ।  परंतु सरकार ने आज तक बेरोजगारों की मांग पर आयोग की कार्यप्रणाली की जांच  सीबीआई से कराना तो दूर जिन मामलों में राज्यस्तरीय एसआईटी का गठन किया उनकी भी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नही की है। आयोग की उच्च स्तरीय जांच न करवा कर उत्तराखंड सरकार ने सिद्ध कर दिया है कि , मध्यप्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक हर जगह जंहा भी भाजपा की सरकारें हैं या रही हैं वहां नौकरी के नाम पर संगठित घोटाला सरकार के संरक्षण में हो रहा है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि
उत्तराखंड में सरकारी सेवाएं ही रोजगार का सबसे बड़ा आधार रही हैं । प्रदेश में 14 लाख पंजीकृत बेरोजगार हैं और लगभग 1 लाख के करीब पद रिक्त हैं। इनमें से सबसे अधिक पदों को भरने के लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग  जिम्मेदार है । इस आयोग द्वारा आयोजित हर परीक्षा विवादों में रही है , बेरोजगारों ने इसके सबूत सार्वजनिक किए हैं । सबूत अकाट्य हैं पर सरकार है कि उच्च स्तरीय जांच के लिए तैयार ही नहीं है।
उत्तराखंड में यूकेएसएसएससी ने 2016 में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी परीक्षा में घोटाले की खबर मिलते ही जांच बैठा दी गयी थी । प्रारंभिक जांच में ओ आर एम शीट से छेड़खानी की पुष्टि होते ही कांग्रेस की हरीश रावत सरकार ने परीक्षा को निरस्त कर उच्च स्तरीय जांच बैठा दी थी ।  भाजपा सरकार आने के बाद तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री स्वर्गीय  प्रकाश पंत जी ने जांच रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रख कर कठोर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था परंतु आज तक जांच और रिपोर्ट का तो कुछ नही हुआ । जो अधिकारी तब आयोग के कर्ताधर्ता थे वे भाजपा में सम्मिलित होकर एक पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार बन गए थे। ऐसे में कार्यवाही तो दूर रिपोर्ट भी किसी ने नहीं देखी।

इसके बाद यूकेएसएसएससी द्वारा आयोजित , यू पी सी यल / पिटकुल के जेई की भर्ती परीक्षा में भी 66 बच्चे एक ही कोचिंग संस्थान से निकले ।
श्री आर्य ने कहा कि जिलाधिकारी हरिद्वार की जांच में गड़बड़ी की पुष्टि हुई तो परीक्षा निरस्त करनी पड़ी। यही हाल यूकेएसएसएससी द्वारा आयोजित सहायक लेखाकार परीक्षा का हुआ । इस परीक्षा को मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाले की आरोपी और उत्तर प्रदेश में भी चार्जशीटेड संस्था एन एस ई आई टी द्वारा आयोजित कराने का बेरोजगारों ने विरोध किया तो उन्हें कानूनी नोटिस भेजे गए। बताते हैं 600 प्रश्नों में से आधे से अधिक में जब गलतियां निकली तो इसी 3 जून को परीक्षा रद्द करनी पड़ी।

बन दरोगा परीक्षा में 80000 बच्चों की परीक्षा 18 पाली में ली गयी । यंहा भी 1800 में से 332 प्रश्न गलत थे। किसी पाली में 10 प्रश्न तो किसी में 27 तक प्रश्न गलत निकले। जिस पाली में जितने प्रश्न गलत उतने बोनस नंबर दिए गए । याने 10 प्रश्न गलत होने वाली पाली के बच्चों से उस पाली के बच्चों को 17 नंबर अधिक बोनस के रूप में मिल गए जिनकी पाली में 27 प्रश्न गलत निकले थे। आज जब हर परीक्षा में 1 नंबर पर भी दर्जनों बच्चे रहते हैं वँहा एक पाली के बच्चों को दूसरे से 17 नंबर अधिक देने के बाद परीक्षा करवाने का कोई मतलब ही नही रहता है।

यही 2020 में आयोजित फोरेस्टर गार्ड परीक्षा का है । उस परीक्षा में एस आई टी जांच में 57 लड़कों द्वारा ब्लूटूथ से नकल करने की पुष्टि हुई। उनमें से 47 पकड़े गए। उन्हें अयोग्य घोषित किया गया।अब आयोग की नाकामी देखिये 10 पकड़े गए बच्चे जब हाई कोर्ट गए और वँहा आयोग पार्टी ही नही बना। कोई पार्टी न होने के कारण इन 10 दागी बच्चों के पक्ष में फैसला आया। अब उन्हें विभाग नौकरी देगा।
यानि उत्तराखंड पहला राज्य होगा जंहा सिद्ध दागी नौकरी पर लगेंगे और गरीब का मेहनती बच्चा देखता रहेगा।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की लोअर पीसीएस भर्ती प्री परीक्षा में भी 12 गलत सवालों के बोनस देकर मामला रफ़ा-दफ़ा करने के प्रयास हुए जिनके विरोध में उम्मीदवार विरोध-प्रदर्शन को मजबूर हैं।
उत्तराखंड सरकारी महकमों, निगमों व सहायतित संस्थाओं में विभिन्न श्रेणियों के 82 हजार से अधिक पद खाली हैं। इनमें सबसे अधिक समूह ग के 41,842 पद खाली हैं, जबकि समूह घ के 9,591 पद भी रिक्त चल रहे हैं। समूह क और ख श्रेणी के 8266 पद भी खाली हैं। इसी तरह सार्वजनिक संस्थाओं में भी विभिन्न श्रेणियों के कुल 14019 पद खाली चल रहे हैं। सहायतित संस्थाओं में भी स्थायी व अस्थायी वर्ग में समूह क, ख, ग व घ श्रेणी के 8798 पद खाली चल रहे हैं।
राज्य मे सरकारी आकड़ो के अनुसार राज्य मे 14 लाख बेरोजगार पंजीकृत हैं, लगभग इसी संख्या से ज्यादा अपंजीकृत बेरोजगार राज्य मे दर – दर रोजगार के लिए भटक रहा हैं।  सरकार के पास रोजगार की ठोस नीति न होने के कारण बेहताशा बेरोजगारी आगे बढ़ेगी । कांग्रेस पार्टी की मांग है कि,   सरकार पारदर्शिता के साथ सरकारी विभागों मे भर्तियां करवाये तथा उद्योगों मे स्थानीय बेरोजगारों के लिए 70 प्रतिशत आरक्षण को लागू करें । कांग्रेस की मांग है कि, भर्तियों में व्याप्त भ्रष्टाचार, भर्ती घोटालों की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाय।

यशपाल आर्य ने कहा कि भर्ती आयोगों के पद संबैधानिक या महत्वपूर्ण पद हैं । इन आयोगों के पदाधिकारियों को उच्च आदर्शों और प्रशासनिक अनुभव का होना चाहिए , परन्तु उत्तराखंड में दिन-प्रतिदिन आयोगों के स्तर में कमी देखने को मिल रही है। कई राज्यों में आयोगों के अध्यक्ष सहित दागी पदाधिकारी जेल भी गए हैं । अब वँहा स्थित ठीक है, पर उत्तराखंड में ये कब होगा ?
यह एक यक्ष प्रश्न है कि , यदि भर्ती परीक्षा में पारदर्शिता नही रहेगी तो गरीब का बच्चा किस लिए मेहनत करेगा ?  इसलिए सरकार को इन सभी विवादित परीक्षाओं की जांच सीबीआई से करवा कर दोषियों को दंडित करना चाहिए ताकि आगे कोई भर्ती परीक्षा जैसे पवित्र काम में बेईमानी करने का दुस्साहस न कर सके।

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

More in उत्तराखण्ड

Recent Posts

Facebook

Advertisement

Trending Posts

You cannot copy content of this page