Connect with us

उत्तराखण्ड

पूर्व सीएम हरीश रावत ने वीआइपी कल्चर पर उठाए सवाल, बोले- चिकित्सकों का पेशा संवेदनशील; उनका सम्मान करें

खबर शेयर करें -

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत शुक्रवार को अपनी जांच कराने दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय पहुंचे। यहां मीडिया से बात करते हुए उन्होंने चिकित्सकों को घर बुलाने के इस वीआइपी कल्चर पर सवाल उठाए। कहा कि सीएम रहते और अब भी वह कोशिश करते हैं कि अस्पताल में आकर ही इलाज कराया जाए। वैसे ही राज्य में चिकित्सकों की कमी है।

चिकित्सकों का पेशा संवेदनशील है, उनका सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो हुआ है उसकी नौबत नहीं आनी चाहिए थी। इतनी सी बात पर स्थानांतरण कर देना उचित नहीं है। कहा कि मुख्यमंत्री को इसकी जांच कराकर समाधान निकाला चाहिए। इस तरह के मामलों से अच्छा संदेश नहीं जाता है।

मोबाइल की रोशनी में इलाज

हरीश रावत जब सैंपल दे रहे थे तो लाइट चली गई। काफी देर तक जनरेटर भी नहीं चला। इस दौरान एक इंटर्न ने मोबाइल की रोशनी दिखाई। काफी देर तक लाइट नहीं आई। जिससे अफसर असहज नजर आए।

जांच के स्थान पर अधिकारियों को नसीहत दे सरकार

पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने डा निधि उनियाल प्रकरण में सरकार की ओर से जांच कराने पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सरकार को जांच कराने के स्थान पर अधिकारियों को नसीहत देनी चाहिए।

मीडिया के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि यह प्रकरण दुखद है। भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। उधर, कांग्रेस ने भी इस प्रकरण पर तीखी प्रतिक्रिया जताई। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा महरा दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड में नौकरशाह कितने फुर्तीले हैं, इसका उदाहरण स्वास्थ्य सचिव से लिया जा सकता है। प्रोटोकाल के तहत मुख्यमंत्री या राज्यपाल के घर ही डाक्टर जा सकता है।

दसौनी ने कहा कि वरिष्ठ डाक्टर को सचिव के घर नहीं भेजा जाना चाहिए था। तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत व तीरथ सिंह रावत को जब कोरोना हुआ तो वे स्वयं अस्पताल गए थे। सचिव मुख्यमंत्री से भी बड़े हो गए हैं।

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

More in उत्तराखण्ड

Recent Posts

Facebook

Advertisement

Trending Posts

You cannot copy content of this page