धर्म-संस्कृति
देवशयनी एकादशी 2022: भगवान विष्णु योग निद्रा में, सृष्टि के संचालक होंगे भोलेनाथ, अगले चार माह मांगलिक कार्य वर्जित
हल्द्वानी : Harishyani Ekadashi: रविवार को देवशयनी या हरिशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हो जाएगी। अगले चार माह विवाह, यज्ञोपवीत जैसे मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी देवशयनी एकादशी कही गई है। इस दिन व्रत करने का विधान है। घरों में पवित्र स्थान पर तुलसी का पौधा लगाया जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। पुराणों के अनुसार, राजा बलि की दयालुता व दानशीलता के भाव से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने बलि के आग्रह पर पाताल लोक जाने का निवेदन स्वीकार किया था।
विष्णु जी ने बलि को वरदान दिया कि वह हर साल आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक पाताल लोक में ही रहेंगे। इस अवधि में सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। चातुर्मास में शिव व उनके परिवार की पूजा होती है।
ज्योतिषाचार्य डा. नवीन जोशी ने बताया कि देवशयनी एकादशी पर इस बार रवि, शुभ व शुक्ल योग रहेगा। चार नवंबर को प्रबोधिनी एकादशी को श्रीविष्णु वापस सृष्टि का संचालन अपने हाथ लेंगे।
तुलसी का पौधा लगाना निषेध नहीं
डा. जोशी हरिशयनी एकादशी को तुलसी का पौधा लगाने का विधान है। डा. नवीन जोशी बताते हैं कि शास्त्रों में रविवार को तुलसी तोडऩा व उसका सेवन निषेध बताया गया है। पौधा लगाने में कोई दोष नहीं है। श्रीमद् देवी भागवत के नवम स्कंध में मां तुलसी अवतरण की कथा आती है, जो साक्षात लक्ष्मीजी का स्वरूप हैं।
सुबह 8:30 बजे से अपराह्न 2:20 बजे तक तुलसी का पौधा लगाया जा सकता है। तुलसी को जल का दीप दान करें। नित्य ऐसा करने से दरिद्रता दूर होती है। अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है।