उत्तराखण्ड
सरकार, डीएम देहरादून, मसूरी-दून प्राधिकरण, नगर निगम जवाब दें
हाईकोर्ट ने बुधवार को देहरादून स्थित सहस्रधारा के जलमग्न क्षेत्र को बंजर भूमि दिखाकर नगर निगम द्वारा आईटी पार्क व अन्य निर्माण कार्य किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। खंडपीठ ने राज्य सरकार, डीएम देहरादून, मसूरी-दून विकास प्राधिकरण व नगर निगम को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। सुनवाई के लिए कोर्ट ने चार मई की तिथि नियत की है। सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई।
देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि देहरादून सहस्रधारा में प्रशासन द्वारा जलमग्न भूमि को बंजर भमि में बदल कर वहां भारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। इससे जलस्रोतों के सूखने के साथ ही पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि जलमग्न भूमि को बंजर भूमि में परिवर्तित करने के लिए भारत सरकार की अनुमति भी नहीं ली गई है, जबकि भारत सरकार के 1989 के नोटिफिकेशन में साफ तौर पर कहा गया है कि भूमि परिवर्तन के लिए उसकी अनुमति लेना अनिवार्य है। जबकि वर्तमान समय में भूमि का स्वरूप बदलकर यहां आईटी पार्क भी बनाया जा रहा है।