नैनीताल
बाघ तो पकड़ा नहीं गया पर ट्विटर-फेसबुक के सहारे लोगों को सावधान कर रहा ‘फतेहपुर टाइगर्स’
हल्द्वानी : फतेहपुर रेंज के जंगल में वन विभाग ढाई महीने से आदमखोर बाघ की तलाश में जुटा है। लेकिन अभी तक उसे ट्रैंकुलाइज कर जंगल से बाहर नहीं किया जा सका है। बाघ ने जिन छह लोगों को अभी तक मौत के घाट उतारा है, वह सभी घटनाएं जंगल के अंदर हुई हैं।
ऐसे में अफसरों की पूरी कोशिश है कि किसी को जंगल में प्रवेश न करने दिया जाए। इसके लिए वनकर्मियों को तैनात किया गया है। वहीं, अब इंटरनेट मीडिया के जरिये भी लोगों को जंगल के खतरे से आगाह करने के साथ जागरूक भी किया जा रहा है। इसके लिए फेसबुक और ट्विटर पर ‘फतेहपुर टाइगर्स’ के नाम से दो अकाउंट बनाया गया है।
29 दिसंबर से 31 मार्च के बीच फतेहपुर रेंज में चार महिलाओं और दो पुरुषों की बाघ के हमले में जान चली गई थी। 23 फरवरी से वन विभाग ने हमलावर वन्यजीव को पकडऩे के लिए अभियान शुरू कर दिया। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के नियमों की वजह से हमलावर बाघ को मारने के बजाय बेहोश किया जाएगा।
इसके लिए हाथी गश्त और मचान से निगरानी भी की जा रही है। दूसरी तरफ महकमे की कोशिश है कि चारा, सूखी लकड़ी और किसी अन्य वजहों से जंगल में पहुंचने वालों को रोका जाए। लिहाजा, जंगल व आबादी की सीमा पर वनकर्मी तैनात किए गए हैं। वहीं, लोगों को जागरूक करने के लिए फेसबुक और ट्विटर का सहारा भी लिया गया है। ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य व अन्य ग्रामीणों के वीडियो इनमेें अपलोड किए जा रहे हैं। वीडियो में लोगों से जंगल क्षेत्र में न जाने की अपील की जा रही है।
उत्तराखंड का सबसे बड़ा अभियान
23 फरवरी से जंगल में हमलावर बाघ की तलाश की जा रही है। 14 रेंजों के वनकर्मी, वन्यजीव चिकित्सक, कार्बेट के हाथी जुटाने के साथ गुजरात के जामनगर से भी ट्रैंकलाइज टीम बुलाई गई है। बाघ के अलावा एक संदिग्ध बाघिन भी कई बार कैमरे में कैद हो चुकी है। लेकिन अभी तक किसी को भी ट्रैंकुलाइज नहीं किया जा सका। आदमखोर बाघ या गुलदार को पकडऩे का यह अब तक का सबसे बड़ा अभियान बन चुका है।
रामनगर के डीएफओ सीएस जोशी ने बताया कि लोगों को जंगल में जाने से रोकने के लिए वनकर्मियों को तैनात किया गया है। फेसबुक और ट्विटर पर अकाउंट भी बनाया गया है, जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों की अपील वीडियो अपलोड की जाती है।