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उत्तराखण्ड

एक दिन में 12 हजार यात्री करेंगे केदार बाबा के दर्शन, 3 मई से शुरू होगी चार धाम यात्रा

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रुद्रप्रयाग : Chardham Yatra 2022 : आगामी तीन मई से चारधाम यात्रा शुरू होने वाली है। जिसके लिए उत्तराखंड शासन ने श्रद्धालुओं की संख्या तय कर दी है। इसके आदेश जारी कर दिए गए हैं। चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या तय की गई है।

जिसके मुताबिक बदरीनाथ धाम में प्रतिदिन 15 हजार, केदारनाथ धाम में प्रतिदिन 12 हजार, गंगोत्री धाम में प्रतिदिन सात हजार और यमुनोत्री धाम में प्रतिदिन चार हजार तीर्थयात्री ही दर्शन कर सकेंगे।

छह मई से हेली सेवा शुरू हो जाएगी

केदारनाथ धाम के लिए छह मई से हेली सेवा शुरू हो जाएगी। इसी दिन केदारनाथ धाम के कपाट खुल रहे हैं। डीजीसीए की टीम आगामी तीन मई को सभी हेलीपैड का निरीक्षण कर जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर उड़ान की अनुमति देगी। इस यात्रा सीजन में नौ हवाई कंपनियां केदारनाथ के लिए उड़ान भरेंगी।

केदारनाथ के लिए 20 मई तक सभी हेली टिकटों की बुकिंग हो चुकी है। करीब 15 हजार टिकट बुक है। तीन मई को डीजीसीए की टीम दिल्ली से केदारनाथ धाम व केदारघाटी पहुंचेगी और यहां विभिन्न हेलीपैड का निरीक्षण कर जरूरी औपचारिकताओं की जांच के बाद हवाई कंपनियों को उड़ान भरने की अनुमति देगी।

केदारनाथ के लिए फाटा, नारायणकोटी, सेरसी, सोनप्रयाग, जाखधार हेलीपैड से उड़ान भरी जाएंगी। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि छह मई को सुबह से ही केदारनाथ के लिए हवाई सेवा शुरू हो जाएगी।

केदारनाथ के लिए उड़ान भरने वाली हेली कंपनियां

आर्यन एविएशन, पवन हंस, एरो एयर क्राफ्ट, चिपसन ऐविएशन, थंबी एविएशन पिनाक्ल एयर क्राफ्ट, हिमालयन हेली, क्रिस्टल ऐविएशन।

हेली किराया:

गुप्तकाशी से 7750 रुपये

फाटा से 4720 रुपये

सेरसी से 4680 रुपये

पुनर्जीवित होगी केदारनाथ की तेल कलश यात्रा

वहीं 70 वर्ष पूर्व बंद हुई केदारनाथ धाम की तेल कलश यात्रा को इस बार केदारनाथ पंच पंडा समिति रुद्रपुर पुनर्जीवित करने जा रही है। अखंड ज्योति के लिए सांकरी गांव में तेल एकत्रित किया गया है। तेल कलश यात्रा एक मई से केदारघाटी के ग्राम सांकरी से रुद्रपुर पहुंचेगी और फिर केदारनाथ धाम के लिए रवाना होगी।

केदारनाथ पंच पंडा समिति रुद्रपुर के अध्यक्ष तीर्थ पुरोहित अमित शुक्ला ने बताया कि केदारनाथ मंदिर में अखंड ज्योति के लिए तेल कलश यात्रा की परंपरा वर्ष 1952 में बंद हो गई थी। अब इसे पुनर्जीवित किया जा रहा है। तेल कलश यात्रा एक मई को केदारघाटी के ग्राम सांकरी से भुकुंड भैरव के शीतकालीन गद्दी स्थल रुद्रपुर पहुंचेगी।

दो मई को कलश यात्रा गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर पहुंचेगी और फिर बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली के साथ केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी। छह मई को अखंड ज्योति में यह तेल डाला जाएगा। सात मई को वृष लग्न में बाबा केदार के प्रिय गण एवं केदारनाथ धाम के रक्षक भुकुंड भैरव मंदिर के कपाट खोले जाएंगे।

ग्राम पंचायत सांकरी के पूर्व प्रधान राय सिंह राणा ने बताया कि सांकरी के ग्रामीणों ने परंपरा के अनुसार सभी घरों से तेल एकत्रित किया है। वहीं, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि मंदिर समिति के रिकार्ड में तेल कलश यात्रा का कोई उल्लेख नहीं है। हो सकता है कि यह परंपरा स्थानीय निवासियों के बीच प्रचलित रही हो।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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