उत्तराखण्ड
उत्तराखंड कांग्रेस : क्षेत्रीय संतुलन को जल्द सामने आ सकता है फार्मूला
देहरादून। कांग्रेस प्रदेश में क्षेत्रीय संतुलन साधने को जल्द फार्मूला तलाश कर सकती है। पार्टी में हाल में हुए परिवर्तन के बाद गढ़वाल क्षेत्र की उपेक्षा का मुद्दा गर्मा गया है। दो साल बाद, यानी 2024 में आम चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए पार्टी की ओर से पहल किए जाने के संकेत हैं।
उत्तराखंड में पांचवीं विधानसभा के चुनाव में मिली हार ने कांग्रेस को भीतर तक झकझोर कर रख दिया है। हार को अप्रत्याशित मान रहीं पार्टी ने तमाम दिग्गज नेताओं पर इसका ठीकरा फोड़ दिया है।
गुटबाजी को हार का प्रमुख कारण मानते हुए पार्टी ने प्रदेश संगठन से लेकर नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष की बागडोर नए समीकरणों को ध्यान में रखकर सौंप दी है। हालांकि, इसमें पार्टी पर क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में न रखने के आरोप लग रहे हैं।
विशेष रूप से गढ़वाल क्षेत्र को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से असंतोष गहराया है। तीनों पदाधिकारियों के पदभार ग्रहण करने के मौके पर भी उपेक्षा का यह मुद्दा गूंजा है।
प्रदेश अध्यक्ष के पदभार ग्रहण करने के समारोह में भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल समेत तमाम नेता इस मामले में पार्टी की नीति पर सवाल खड़े करने से नहीं चूके।
दरअसल, दो साल बाद आम चुनाव होने हैं। राज्य में 2014 के बाद 2019 में हुए आम चुनाव में पार्टी को पांच में से एक भी लोकसभा सीट नसीब नहीं हो सकी। पार्टी के लिए यह सबसे बड़ी चिंता है।
चुनाव की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आएगी, यह मुद्दा पार्टी के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकता है। इसे ध्यान में रखकर पार्टी क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए कदम उठा सकती है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने इसके संकेत दिए हैं।
उन्होंने कहा कि पार्टी में किसी भी क्षेत्र की उपेक्षा नहीं होने दी जाएगी। जल्द ही इस मामले में हाईकमान व प्रदेश प्रभारी से वार्ता कर कदम उठाए जाएंगे। माना जा रहा है कि प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव दिल्ली जाकर इस संबंध में फीडबैक पार्टी हाईकमान को दे सकते हैं। इसके बाद क्षेत्रीय संतुलन का नया फार्मूला सामने आ सकता है।