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उत्तराखण्ड

‘येड़ा’ शब्द पर बहस, हरीश रावत ने बेटे से कहा ‘मैंने तुम्हें येड़ा नहीं समझा’, क्या है मामला?

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देहरादून. क्या आपको पता है कि ‘येड़ा’ शब्द का क्या मतलब होता है? महाराष्ट्र में यह शब्द काफी इस्तेमाल किया जाता है और अब उत्तराखंड की राजनीतिक गलियारों में सुर्खियों में आ गया है. यह शब्द दिल्ली की राजनीति में आया था, जब सुशील कुमार शिंदे ने अरविंद केजरीवाल को ‘येड़ा’ कहा था. यह बात कहते हुए उत्तराखंड कांग्रेस के युवा नेता आनंद रावत ने जवाहरलाल नेहरू को भी इस शब्द के दायरे में लिया. उन्होंने इसका मतलब ‘जुनूनी’ बताया और अपने पिता हरीश रावत को जुझारू नायक भी. आनंद के इस फेसबुक पोस्ट के पीछे एक कहानी है.

एक तरफ चंपावत उपचुनाव को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस चर्चा में है, तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इसलिए सुर्खियों में हैं क्योंकि इन दिनों वह सोशल मीडिया पर अपने ‘कुटुंब’ की राजनीति की बातों से जूझते दिख रहे हैं. उनके बेटे आनंद रावत ने पहले कहा कि ‘पिताजी ने मुझे येड़ा समझा’, तो रावत ने सफ़ाई देते हुए एक लंबा पोस्ट लिखा. इसके बाद आनंद ने सोशल मीडिया पर ‘येड़ा’ शब्द की व्याख्या कर अपनी बात पर सफाई दी. वहीं, रावत अपने सहयोगी राजेंद्र भंडारी के पोस्ट पर भी थोड़े विचलित नज़र आए.

आनंद रावत और राजेंद्र भंडारी के पोस्ट का जवाब हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर दिया.

आनंद रावत बनाम हरीश रावत
पहले बात करें बाप बेटे के बीच सोशल मीडया पर हुए रोचक राजनीतिक संवाद की. दो दिन पहले आनंद रावत ने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखते हुए उत्तराखंड में आईटीआई और पॉलीटेक्निक से शिक्षा लेकर निकलने वाले युवाओं के रोज़गार पर बात उठाई और बताया कि केरल व विदेशों की तुलना में पहाड़ के युवा किस कदर पीछे हैं. बात खत्म करते हुए आनंद ने लिख दिया कि हरीश रावत समेत उत्तराखंड के तमाम नेता ऐसी बातों को नहीं बल्कि बधाई व शोक संदेश देने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. फिर आनंद ने लिखा :

‘मेरे पिताजी मेरे चिंतन व विचारों से परेशान रहते हैं, शायद उन्होंने हमेशा मेरी बातें एक नेता की दृष्टि से सुनीं और मुझे येड़ा समझा.’

बाप न सही बेटे के साथ होगा न्याय : हरीश रावत
इस पोस्ट का जवाब देते हुए हरीश रावत ने पहले आनंद के कामों की तारीफ़ की. फिर अपनी सरकार के समय केरल के मॉडल पर रोज़गार के क्षेत्र में विकास की बात भी की. इस बीच उन्होंने यह भी तंज़ किया कि ‘आज सारी राजनीति हिंदू-मुसलमान ही रह गई है.’ आखिर में उन्होंने लिखा, ‘तुमने बुनियादी सवाल और हम जैसों की कमज़ोरियों पर चोट की, डटे रहो. बाप न सही, समय तुम जैसे लोगों के साथ न्याय करेगा.’

‘आपके चुभते सवालों पर विचार करूंगा’
हरीश रावत के समर्थक माने जाने वाले राजेंद्र भंडारी ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर बड़ा सवाल खड़ा किया कि किशोर उपाध्याय के बाद जोत सिंह बिष्ट ने कांग्रेस पार्टी छोड़ी तो क्यों? हरीश रावत का कुनबा बिखरने के क्या कारण हैं और कौन ज़िम्मेदार है? इसके जवाब में रावत ने लिखा कि उन्होंने अगर ‘कुटुंब की राजनीति’ के लिए किसी सहयोगी का बलिदान दिया हो, तो सवाल उठना चाहिए.

हालांकि उन्होंने एक बार फिर खुद को दया का पात्र बताते हुए यही कहा कि उनके और कांग्रेस के कमज़ोर होने का समय एक है इसलिए उनके कई अपने उनके विरोधी दिख रहे हैं. रावत ने भंडारी को भी लिखा कि वह उनके उठाए गए चुभते सवालों पर विचार करेंगे. इधर, पिता के पोस्ट के बाद आनंद रावत ने ‘येड़ा’ शब्द को लेकर एक और रोचक पोस्ट लिखी और इस शब्द के अर्थ, इस्तेमाल पर बात रखते हुए बुद्धिजीवियों से माफी भी मांग ली.

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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