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उत्तराखण्ड

लौट आया है आदमखोर बाघ, मारने की बजाए ट्रैंकुलाइज करने का आदेश, वापस लौटे श‍िकारी

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हल्द्वानी : फतेहपुर रेंज के जंगल में बाघ के आदमखोर घोषित होने के बावजूद उसे मारने की बजाय पहले ट्रैंकुलाइज करने का प्रयास किया जाए। गोली चलाना अंतिम विकल्प रखा गया है। अभियान में शामिल रहे वरिष्ठ शिकारी आशीष दास गुप्ता के मुताबिक मंगलवार रात दमुवाढूंगा के जंगल में जिस लोकेशन पर इंद्रा देवी को बाघ ने मौत के घाट उतारा था। वहां पर कैमरा ट्रैप में बाघ फिर से नजर भी आया।

तीनों शिकारी वापस लौटे

संभावना थी कि पुरानी घटना पर हमलावर बाघ फिर लौटकर आया था। मगर इससे पहले उन्हेें बता दिया गया कि बाघ को गोली नहीं मारनी। वहीं, मामले में डीएफओ रामनगर सीएस जोशी का कहना है कि ट्रैंकुलाइज करने के लिए बाहर से भी एक्सपर्ट की टीम बुलाई गई है। जिन्हें जंगल में ऐसे अभियान चलाने का लंबा अनुभव है। वहीं, बाहर से बुलाए गए तीनों शिकारी बुधवार सुबह वापस लौट गए।

अब तक छह लोगों का शिकार

फतेहपुर रेंज में दिसंबर अंत से लेकर अब तक छह लोगों की वन्यजीवों के हमले में जान गई थी। लगातार हो रही घटनाओं की वजह से लोगो का आक्रोश भी बढ़ता गया। जिसके बाद वन विभाग ने बाघ को ट्रैंकुलाइज करने का अभियान शुरू किया। एक्सपर्ट की टीम उतारी। कार्बेट से गश्त के लिए दो हथिनियों को भी बुलाया गया। मगर परिणाम जीरो रहा।

आदमखोर घोषिक किया गया है बाघ

इस बीच भदयूनी और फिर दमुवाढूंगा के जंगल में बाघ ने तीन दिन के अंदर महिलाओं को और मौत के घाट उतारने के बाद मजबूरी में सही वन विभाग को बाघ को आदमखोर घोषित करना पड़ा। जिसके बाद शिकारी आशीष दास गुप्ता, सैय्यद अली बिन हादी और त्रिनेश जंग को भी बुलाया गया। सोमवार को यह लोग फतेहपुर पहुंच गए थे। जिसके बाद वन विभाग से अब तक हुई घटनाओं की जानकारी लेने के साथ कैमरा ट्रैप की तस्वीरों और पदचिन्हों का अध्ययन भी किया गया।

एनटीसीए की गाइडलाइन के कारण पीछे हटे अधकारी

मगर मंगलवार रात वन विभाग ने शिकारियों से कहा कि बाघ को गोली मारने की बजाय पहले ट्रैंकुलाइज करने की कोशिश की जाए। जिस वजह से बुधवार को शिकारी वापस लौट गए। हालांकि, स्थानीय स्तर पर वन विभाग के अफसरों के इस आदेश के पीछे एनटीसीए की गाइडलाइन को मुख्य वजह माना जा रहा है। जिसमें कहा गया है कि आदमखोर को बाहरी शिकारी नहीं सरकारी कर्मचारी ही गोली मार सकता है।

जंगल में मेला

वन विभाग ने जंगल के अंदर बाघ को ट्रैंकुलाइज करने के लिए करीब 70 लोगों की टीम उतार दी है। दो मचानों से टीम रात में निगरानी भी कर रही है। इस दौरान बाघ के नजर आने पर उसे बेहोश करने का प्रयास किया जाएगा। वहीं, एक रेंज में इतनी संख्या में लोगों का मूवमेंट होने पर ऐसा इस बात की भी संभावना है कि बाघ दूसरे जंगल यानी किसी और रेंज में मूवमेंट कर जाए। अभियान से जुड़े एक जिम्मेदार व्यक्ति का कहना है कि जंगल में मेले जैसी स्थिति हो चुकी है।

सर्च लाइट लगाने के दौरान मिला संदेश, अभियान होल्ड

हिमाचल निवासी उच्च दर्जे के शिकारी आशीष दास गुप्ता को वन विभाग ने पहले आदमखोर को ढेर करने के लिए बुलाया था। इसके अलावा दो अन्य शिकारी भी बुलावे पर पहुंचे थे। आशीष दास अभी तक 57 आदमखोर बाघ-गुलदारों को ढेर कर लोगों को वन्यजीवों के आतंक से निजात दिला चुके हैं। दास के मुताबिक जंगल में टीम संग वह सर्च लाइट लगाने में जुटे थे। तभी संदेश मिला कि 5-7 दिन के लिए शिकारी अपने अभियान को होल्ड कर ट्रैंकुलाइज टीम संग रहे। वहीं, आशीष दास का कहना है कि उन लोगों को जारी परमिट में ट्रैंकुलाइज का जिक्र नहीं था। ऐसे में जंगल खाली घूमने की बजाय शिकारी वापस लौट गए।

जामनगर की टीम ने छाना जंगल

गुजरात के जामनगर से पहुंची टीम में वन्यजीव चिकित्सक, फार्मासिस्ट से लेकर अन्य सदस्य शामिल है। इनके पास सभी अहम संसाधन मौजूद है। करीब 30 लोगों का दल बुधवार को हल्द्वानी पहुंच गया था। जिसके बाद जंगल में गश्त भी की गई। अफसरों को उम्मीद है कि अनुभव के आधार पर यह टीम बाघ को ट्रैंकुलाइज करने में कामयाब होगी। डीएफओ रामनगर सीएस जोशी ने बताया कि शिकारियों को विशेषज्ञ के नाते बुलाया गया था। वैसे भी आदेश में अंतिम विकल्प के तौर पर गोली चलाने की बात है। यही वजह है कि टै्रंकुलाइज को लेकर एक्सपर्ट लोगों की टीम जंगल में भेजी गई है। उम्मीद है कि जल्द सफलता मिलेगी।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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