उत्तराखण्ड
दिलचस्प: ‘वैज्ञानिक धार्मिक आयोग’ की मांग, HC ने सरकारों से मांगा जवाब
नैनीताल. उत्तराखंड हाई कोर्ट में एक दिलचस्प मामला एक बड़ी मांग के साथ पहुंचा है. झारखंड निवासी प्रभु नारायण ने दावा किया है कि शक्तिपीठों और ज्योतिर्लिंगों की स्थापना विज्ञान आधारित थी और आज भी इसके वैज्ञानिक प्रभाव ऐसे हैं, जो मौसम और क्लाइमेट से सीधे तौर पर संबंध रखते हैं. उत्तराखंड 51 शक्तिपीठों के वैज्ञानिक महत्व पर स्टडी करने और इन्हें संरक्षित करने के लिए नारायण ने अपनी याचिका में वैज्ञानिक धार्मिक आयोग बनाए जाने की मांग की है, जिस पर कोर्ट ने सरकारों से जवाब तलब किया है.
नारायण का कहना है कि उन्होंने कोर्ट में 185 पेजों की अपनी शोध रिपोर्ट सौंपी है, जिसके आधार पर उन्होंने ऐसे आयोग की मांग की है. नारायण के मुताबिक लोग जानकारी के अभाव में इन शक्तिपीठों व ज्योतिर्लिंगों को अवैज्ञानिक करार देते हैं. चीफ जस्टिस कोर्ट ने इस मामले पर भारत सरकार के साथ ही उत्तराखंड सरकार, प्रमुख सचिव, नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा, जलवायु व पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी कर 8 जून तक जवाब देने को कहा है.
धारीदेवी मंदिर से जुड़ी केदार आपदा!
नारायण ने कोर्ट में एक पूरी रिसर्च कर रिपोर्ट दी है कि देश के 51 शक्तिपीठों का वैज्ञानिक आधार क्या है. कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि इसका सबसे बड़ा उदाहरण केदारनाथ की आपदा को समझा जाना चाहिए. नारायण के मुताबिक धारीदेवी के मन्दिर से छेड़छाड़ करते ही 1 घंटे बाद आपदा आई और कई लोगों ने जान गंवाई.
याचिका में कहा गया कि इन प्राचीन मन्दिरों की स्थापना ही जलवायु परिवर्तन और आपदा जैसी घटनाओं को कंट्रोल करने के लिए हुई थी. यह मामला हाईकोर्ट मे सुनवाई के लिए स्वीकार हुआ है, जो अपने आप में अलग है. अब आने वाले दिनों में कोर्ट में इस मामले में क्या दलीलें आती हैं और क्या फैसला होता है, इसे लेकर दिलचस्पी बन रही है.
कौन हैं याचिका लगाने वाले प्रभु नारायण?
पिछले करीब 20 सालों से विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन, अनुसंधान और रिसर्च करने वाले नारायण बताते हैं कि वह इस अवधि में पर्यावरण के राष्ट्रीय पाठ्यक्रम तैयार करने वाली टीम में रहे हैं. उनकी रिसर्च के आधार पर ही क्लाउड बर्स्ट या बादल फटने की परिभाषा को बदलने की पहल हुई, उन्होंने जल, गंगा और हिमालय की क्लाइमेट स्थितियों से जुड़े कुछ शोध किए हैं और उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक एक्सपर्ट की तरह कई संस्थानों में बुलाया जाता है.