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उत्तराखण्ड

खनन लाइसेंस पर हाई कोर्ट सख्त, उधर घोटाले में कौशिक को 4 हफ्तों की मोहलत और

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नैनीताल. उत्तराखंड में रेवड़ी की तरह बांटे जा रहे खनन और स्टोनक्रशरों के लाइसेंस पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख दिखाया. हाईकोर्ट ने रामनगर कॉर्बेट पार्क के पास दी गई सरकार की अनुमति पर रोक लगाते हुए स्टोन क्रशर निर्माण पर भी रोक लगा दी. साथ ही, सरकार से जवाब भी तलब किया. इधर, हरिद्वार में पुस्तकालय निर्माण घोटाले में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक कोर्ट को अपना जवाब नहीं दे पाए, तो कोर्ट ने उन्हें चार हफ्ते का समय और दे दिया.

पहले खनन मामले पर बात करें तो हाई कोर्ट ने एक याचिका पर रोक के आदेश दिए. साथ ही, हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस बेंच ने नंधौर वन्यजीव अभ्यरण के ईको सेंसिटिव ज़ोन में खनन की अनुमति पर सरकार से पूछा है कि किस आधार पर अनुमति दी गई. यह भी जानना चाहा ​है कि क्या वन विभाग द्वारा इस बारे में अनुमति दी गई. गौरतलब है कि दिनेश चंदोला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर नंधौर वाइल्डलाइफ सेंचुरी में खनन पर रोक लगाने की मांग की है.

याचिका में कहा गया है कि बाढ़ सुरक्षा के नाम पर खनन की अनुमति सरकार ने दी, लेकिन ये क्षेत्र संरक्षित है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ऐसे क्षेत्र में खनन पर प्रतिबंध है. याचिका में कहा गया कि सरकार ने अनुमति भी भारत सरकार के नियमों के खिलाफ जाकर दी.

मदन कौशिक पर है बड़ा आरोप
हरिद्वार में पुस्तकालय निर्माण में घोटाले के आरोप पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक हाईकोर्ट में जवाब दाखिल नहीं कर सके. बता दें कि हरिद्वार निवासी सच्चिदानंद डबराल ने जनहित याचिका में आरोप लगाया है कि हरिद्वार विधायक रहते हुए मदन कौशिक ने साल 2010 में विधायक निधि से 16 पुस्तकालयों के निर्माण के लिए डेढ़ करोड़ रुपए जारी किए, मगर आज तक ये पुस्तकालय नहीं बनाए गए. आरोप है कि जहां पुस्तकालय बताए गए, वहां बारात घर, निजी आवास, धर्मशालाएं बनी हैं. याचिका में पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने के साथ आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की गई है. साभार न्यू मीडिया

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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