उत्तराखण्ड
शत्रु संपत्ति की ज़मीन पर समुदाय विशेष का कब्ज़ा! Nainital के वकील ने PM से की एक्शन की मांग
नैनीताल. सरकार की नज़रें राज्य में उन लोगों पर हैं, जो यहां सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़ा कर रहे हैं. नैनीताल में अलग अलग इलाकों में आकर लोग बस रहे हैं. हालत ये है कि इन बाहरी लोगों ने शत्रुसम्पत्ति तक को नहीं छोड़ा. भारत सरकार के अधीन इस सरकारी ज़मीन पर बिना किसी जांच पड़ताल के लोग बस गए हैं. यही नहीं यहां सरकारी सुविधाएं भी पूरी तरह उन्हें मिल रही हैं. अब इस मामले में एक समुदाय विशेष की आशंका जताते हुए प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी भेजी गई है.
नैनीताल में विशेष समुदाय के लोगों द्वारा ज़मीनों पर कब्ज़े का एक और मामला सामने आया है. शहर के बीचों बीच शत्रुसम्पत्ति विभाग की ज़मीन पर कब्ज़ा क्या, यहां बड़े बड़े घर तक बन गए हैं. और तो और सरकार के ही अधिकारियों ने तमाम सुविधाओं से इन्हें लैस भी कर दिया है. इस मामले में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एक स्थानीय वकील ने कार्रवाई की मांग की है. वकील नितिन कार्की ने बताया कि लगातार सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़ा बढ़ रहा है और डीएम के माध्यम से केन्द्र सरकार को पत्र भेजा गया है.
मोदी को लिखे इस पत्र में शत्रु सम्पत्ति पर कब्ज़ाधारियों के बांग्लादेशी और रोहिंग्या होने की आशंका जताई गई है. शिकायतकर्ता ने दावा किया है कि ज़्यादातर कब्ज़ेधारी स्वार, रामपुर, दड़ियाल, तांडा और मुरादाबाद से आकर बसे हैं और इनके पास दो दो पहचान पत्र हैं. अब मामला उजागर हुआ है, तो डीएम नैनीताल कार्रवाई की बात कर रहे हैं. नैनीताल डीएम ने कहा कि मामला गंभीर है और मेट्रोपोल में ऐसे कब्ज़ों की जांच कर उन्हें हटाया जाएगा.
शहर के बीच इतनी है जमीन..
दरअसल शहर के बीच मेट्रोपोल शत्रु सम्पत्ति है. केन्द्र सरकार के अधीन 11,385 वर्गमीटर ज़मीन पर निर्माण है, तो 22,489 वर्ग मीटर ज़मीन खाली पड़ी थी. करीब 90 करोड़ से ज्यादा की इस सम्पत्ति को राजा मोहम्मद अमीर अहमद खान निवासी महमूदाबाद जिला सीतापुर का बताया जाता है, जिसे 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रकाशित गजट के आधार पर शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया.
ये होती है शत्रु सम्पत्ति की जमीन…
दरअसल 1947 में देश के बंटवारे के अलावा 1962 में चीन, 1965 और 1971 पाकिस्तान के खिलाफ हुई जंग के दौरान या उसके बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए नागरिकों को भारत सरकार शत्रु मानती है. भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था, जिसके तहत शत्रु संपत्ति की देखरेख एक कस्टोडियन को दी गई. केंद्र सरकार में इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग भी है, जिसे शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार है.