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प्रशिक्षु टीचर्स खुद को बहुआयामी व्यक्तित्व के रूप में करें विकसित
प्रशिक्षु टीचर्स खुद को बहुआयामी व्यक्तित्व के रूप में करें विकसित
जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनू, राजस्थान के प्रो. बीएल जैन ने कहा, व्यक्तित्व के विकास के लिए हमें दिखावे का आचरण नहीं करना चाहिए बल्कि एक वास्तविक, परिपक्व, सहनशील, सरल, कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति के रूप में स्वयं को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। एक उत्तम व्यक्तित्व के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति के अंदर दया, करुणा, संयम, सहनशीलता, कर्तव्यनिष्ठता, सहयोगिता आदि गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि व्यक्तित्व बाह्य एवं आंतरिक गुणों का एक गत्यात्मक संगठन है। व्यक्तित्व निर्माण के लिए प्रत्येक स्तर पर प्रयास होना चाहिए। उन्होंने प्रशिक्षु अध्यापकों को बहुआयामी व्यक्तित्व के रूप में स्वयं को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही विद्यार्थियों में व्याप्त विभिन्न बुराइयां जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट का युवाओं में अनुचित प्रभाव, समय का गलत उपयोग, गलत संगति आदि को व्यक्तित्व विकास में बाधक बताया। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की ओर से संचालित तीर्थंकर कुन्थनाथ कॉलेज ऑफ एजुकेशन में व्यक्तित्व विकास पर आयोजित अतिथि व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
प्रो. जैन ने कहा, यदि एक व्यक्ति अपने जीवन के प्रारंभिक चरणों से ही व्यक्तित्व विकास के आयामों को समाहित कर उसके अनुरूप व्यवहार करेगा तो निश्चय ही वह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता को प्राप्त कर सकेगा। समाज और राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दे सकेगा। उन्होंने व्यक्ति का बैठना, चलना, खाना, सोना सोचना आदि क्रियाओं को विभिन्न उदाहरणों से उन्नत रूप में विकसित करने के उपाय बताए। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य डॉ. विनोद कुमार जैन ने अतिथि व्याख्याता के स्वागत वंदन एवं अभिनंदन से किया। श्री रंजीत सिंह ने अतिथि व्याख्याता का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में बीएससी बीएड पाठ्यक्रम के विभिन्न सेमेस्टर के छात्र-छात्राएं ऑनलाइन सम्मिलित रहे। कार्यक्रम के अंत में छात्रों की जिज्ञासाओं का समाधान भी प्रियल जैन ने बड़ी सरलता के साथ किया। कार्यक्रम में डॉ. हर्षवर्धन, श्रीमती रचना सक्सेना, डॉ. विनय कुमार, डॉ. सुनील कुमार, शिवांगीराज आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही। संचालन मिस रूबी शर्मा ने किया।

