उत्तराखण्ड
अति दुर्गम में तैनात शिक्षक ने पेश की ऐसी मिसाल की तबादला रुकवाने पूरा गांव उमड़ आया
बागेश्वर। प्रदेश में चाहे कोई भी विभाग हो, कर्मियों की चाहत रहती है कि वे मैदान या पहाड़ में भी सुगम तैनाती लें। मगर यहां एक शिक्षक ने ऐसी मिसाल पेश की है को वह उसी विद्यालय में तैनाती चाहता है जहां वह बच्चों को शिक्षा में ऐसा कमाल कर गया की छात्र संख्या 10 से 40 पहुंच गई। जब शिक्षक का तबादला हुआ तो पूरा गांव तबादला रुकवाने आ गया। महाराष्ट्र के राज्यपाल और उत्तराखंड के दिग्गज नेता भगत सिंह कोशियारी के गृह क्षेत्र बागेश्वर के दूरस्थ क्षेत्र में स्थित है नामतीचेताबगड़. इस इलाके के महरगड़ी राजकीय प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक सुरेंद्र सिंह कार्की के तबादले के आदेश हुए तो ग्रामीण लामबंद हो गए. उनका कहना है कि और किसी भी शिक्षक का तबादला किया जाए, लेकिन वह कार्की को जाने नहीं देंगे. अपने स्टूडेंट्स और उनके परिवारों का लगाव देखकर कार्की भी कुछ और समय इसी स्कूल में बिताना चाहते हैं.
दरअसल शिक्षक कार्की ने अपने अध्यापन काल में स्कूल में जो काम किए उससे न केवल विद्यार्थी बल्कि पूरा गांव उनका मुरीद हो गया. कार्की का स्थानांतरण रुकवाने ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से गुहार लगाई है. ग्रामीणों का कहना है कि वो कार्की के स्थानांतरण को बर्दाश्त नहीं करेंगे. ग्रामीणों ने ये चेतावनी भी दे दी है कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो वो अपने बच्चों का नाम स्कूल से कटवा देंगे.
बच्चे बढ़े भी, पढ़ाई में होशियार भी हुए
ग्रामीणों ने बताया कि जबसे कार्की ने कार्यभार ग्रहण किया, तब से बच्चों का सर्वांगीण विकास हो रहा है. स्कूल में बच्चों की संख्या भी बढ़ी है. बच्चों की पढ़ाई का स्तर काफी सुधरा है. उनके द्वारा विद्यालय की छात्र संख्या बढाने को निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जिसका असर भी दिख रहा है. विभाग द्वारा कार्की के स्थानांतरण से ग्रामीण निराश हैं.
तो स्कूल से कटवा लेंगे बच्चों का नाम
परेशान ग्रामीणों ने कहा कि यदि उनका स्थानांतरण रोका नहीं जाता तो ग्रामीण अपने बच्चों का विद्यालय से नाम कटवाने पर मजबूर होंगे. ग्रामीणों को कार्की के अलावा अन्य शिक्षकों का स्थानांतरण करने पर कोई आपत्ति नहीं है. ग्रामीणों ने कहा कि पहले ही पहाड़ में शिक्षा बदहाल है और ज़िम्मेदार बेखबर हैं. आखिर चंद लोग जवाबदेही लेने को आगे आ रहे हैं तो उन्हें भी सिस्टम की बेरुखी झेलनी पड़ रही है.
‘बहुत कुछ करना बाकी है, थोड़ा समय दें’
इधर, कार्की ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘एक शिक्षक वह शख़्स है, जो अपनी सीखी हुई बातें अपने छात्र-छात्राओं से साझा करे और उन्हें सामाजिक और मनोवैज्ञानिक सपोर्ट दे. यही महरगड़ी स्कूल में मैंने किया. यहां तीन साल पहले छात्र संख्या 10 थी आज 40 के करीब पहुंच गई है. पहले यहां पर मैं ही अकेला अध्यापक था, आज दो शिक्षक और हैं. अभी इस दूरस्थ क्षेत्र के स्कूल में काफ़ी कुछ करना बाकी है. मैं अपने उच्च अधिकारियों से प्रार्थना करता हूं कि मुझे इसी स्कूल में कुछ समय और सेवा का अवसर दें.’
मुख्य शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए
बागेश्वर के प्रभारी जिलाधिकारी चंद्रसिंह इमलाल का कहना है, ‘ग्रामीण मुझसे इस संबंध में मिले थे. ग्रामीणों की भावना के अनुरूप मुख्य शिक्षा अधिकारी को कारवाई के निर्देश दे दिये गए हैं.’

