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गोवा के Ex CM ने कांग्रेस के लिए कह दी बड़ी बात, वंशवादी राजनीति का अंत जरूरी

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गोवा की राजनीति में पिछले पांच दशक से प्रतापसिंह राणे (Pratapsingh Rane) प्रमुख स्तंभ के रूप में अडिग रहे हैं. वे रिकॉर्ड छह बार गोवा के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. कांग्रेस का यह कद्दावर नेता अब 83 साल के हो गए हैं संखाली के अपने फॉर्म हाउस में सक्रिय राजनीति से दूर जिंदगी का आनंद ले रहे हैं. राज्य की राजनीति में बीजेपी की जीत, कांग्रेस का भविष्य और बेटे की राजनीति पर उनसे कई सवाल किए. उन्होंने कांग्रेस के भविष्य पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कांग्रेस को यह समझना होगा कि अब वंशवादी राजनीति का समय चला गया है. इसलिए कांग्रेस में अब वंशवादी राजनीति का अंत होना चाहिए.

घुड़सवारी और ब्रॉडवे खेलों के शौकिन प्रतापसिंह राणे गोवा में पोरिम (Poriem) विधानसभा सीट से 1990 से लगातार जीतते आ रहे थे. अगर इस बार वे इस सीट से चुनाव लड़ते तो उन्हें अपनी ही पुत्रवधु बीजेपी की देविया राणे (Deviya Rane) से मुकाबला करना पड़ता जिन्होंने 13, 943 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है. राणे ने कहा कि कांग्रेस को लोकतांत्रिक होना चाहिए और अब वंशवादी राजनीति को नहीं चलने देना चाहिए.

वंशवादी राजनीति के अंत का समय आ गया
राणे ने कहा कि अब हम उस समय में नहीं रहते जब पिता की विरासत में मिली चीजें बेटे को मिलती है और फिर पोते को. हम नए युग में जी रहे हैं. वंशवादी राजनीति पहले चलती थी लेकिन अब इसका जमाना लद चुका है. कांग्रेस को इस बात को समझना होगा. अगर आप किसी खास परिवार से ताल्लुक रखते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आप यह भी समझ जाएं कि लोग चाहते क्या है. लोग आपको चुनते हैं, लेकिन इसे वंशवादी बनाने के लिए नहीं चुनते. यह राजनीतिक विरासत को कायम रखने में मदद कर सकता है लेकिन आप इस पर पूरी तरह निर्भर नहीं रह सकते. जब उनसे पूछा कि क्या कांग्रेस में सोनिया गांधी या राहुल गांधी वाले नेतृत्व में बदलाव हो सकता है, राणे ने कहा कि समय इसका जवाब देगा.

अपनी विचारधारा दूसरों पर थोपनी नहीं चाहिए
राणे के पुत्र विश्वजीत राणे भी बीजेपी के टिकट पर बालपोई विधानसभा सीट से चुनाव जीते हैं. जब उनसे पूछा कि बेटे की जीत पर क्या कहना चाहेंगे तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि मैं उनके लिए खुश हूं. लोगों ने उनपर भरोसा जताया है. उन्होंने कहा कि 50 साल के अपने राजनीतिक जीवन में मैंने यही जाना है कि जीतना कोई संख्या नहीं है. इसका कोई महत्व नहीं है. महत्व इस बात का है कि आपने कितना अच्छा काम किया है. उन्होंने कहा कि किसी को भी अपनी विचारधारा को दूसरों पर सौंपना नहीं चाहिए. यह लोगों को स्वतंत्र रूप से छोड़ देना चाहिए कि वे क्या चाहते हैं. विश्वजीत राणे ने 2017 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था जब सबसे ज्यादा सीटें आने के बावजूद वे सरकार बनाने में असफल हो गए थे.

राणे को जीवनपर्यंत कैबिनेट मंत्री का दर्जा
राणे को जनवरी में भाजपा की प्रमोद सावंत सरकार ने जीवनपर्यंत कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था. राज्य में उनके 50 साल के योगदान के लिए उन्हें यह दर्जा दिया गया है. राणे ने तीसरी बार बीजेपी की जीत पर सलाह देते हुए कहा कि हर किसी को यह सीखना चाहिए कि जनता क्या चाहती है. उनके समाधान को महत्व देना चाहिए. मैं बीजेपी के खिलाफ नहीं हूं लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि जनता क्या चाहती है. किसी को भी अपनी विचारधारा दूसरों पर नहीं थोपनी चाहिए.

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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