राष्ट्रीय
दुश्मन के लिए काल है ब्रह्मोस मिसाइल, एक नहीं इसकी कई सारी हैं खासियत, डालें एक नजर
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हाइपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट और रक्षा प्रौद्योगिकी एवं परीक्षण केंद्र (डीआरडीओ) की लैब का शिलान्यास किया है। यहां पर लगने वाली ब्रह्मोस यूनिट के लिए सरकार ने मात्र एक रुपये की लीज पर 80 हेक्टेयर से अधिक जमीन उपलब्ध कराई है। अमौसी एयरपोर्ट के पास डीआरडीओ लैब में रक्षा अनुसंधान और विकास के कार्य होंगे। डीआरडीओ के इन दोनों प्रोजेक्ट में 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने जा रहा है।
बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल को सेना के तीनों अंगों के लिए उपलब्ध करवा दिया गया है। नौसेना के युद्धपोत से लेकर भारतीय वायुसेना के सुखोई लड़ाकू विमान तक से इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है। इस मिसाइल को देश में ही विकसित किया गया है। इसमें रैमजेट इंजन का उपयोग किया गया है, जो इसकी गति को बढ़ाती है और सटीकता और ज्यादा घातक बनाती है। वायु सेना के लिए इस मिसाइल की रेंज को बढ़ाकर 500 किलोमीटर से बढ़ाया भी जा रहा है। इसकी एक बड़ी खासियत ये भी है कि इसको दुश्मन के राडार पकड़ नहीं सकते हैं। भारत की योजना इस मिसाइल को भविष्य में मिग-29, तेजस और राफेल में भी तैनात करने की है। इसी माह ही ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एंटी शिप वर्जन का सफल परीक्षण किया गया था ।
आपको बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल रूस और भारत का संयुक्त प्रोजेक्ट है। इसमें Brah का मतलब है ‘ब्रह्मपुत्र’ और Mos का मतलब ‘मोस्कवा’। रूस में ये एक नदी है। ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसकी गिनती 21वीं सदी की सबसे खतरनाक मिसाइलों में की जाती है। ब्रह्मोस मिसाइल मैक 3.5 यानी 4,300 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम रफ्तार से उड़ सकती है। इसे कहीं से भी लॉन्च किया जा सकता है। जमीन से हवा में मार करनी वाले सुपरसोनिक मिसाइल 400 किलोमीटर दूर तक टारगेट हिट कर सकती है।
नौसेना को दी जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का पहला टेस्ट 2013 में हुआ था। यह मिसाइल पानी में 40 से 50 मीटर की गहराई से छोड़ी जा सकती है। वायु सेना में शामिल ये मिसाइल अधिकतम 14,00 फीट की ऊंचाई तक आवाज से भी कहीं तेज गति से उड़ सकती है। इसके वैरियंट्स के हिसाब से वारहेड का वजन बदल जाता है। इसमें टू-स्टेज प्रपल्शन सिस्टम है और सुपरसोनिक क्रूज के लिए लिक्विड फ्यूल्ड रैमजेट लगा है।
भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन नंबर 222 (टाइगरशार्क्स) देश की पहली स्क्वाड्रन है जिसे ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किया गया है। यह दक्षिण भारत में देश की पहली Su-30 MKI स्क्वाड्रन है जिसका बेस तंजावुर एयरफोर्स स्टेशन है। थल सेना के पास सैकड़ों ब्रह्मोस मिसाइलें हैं। नौसेना ने भी कई जंगी जहाजों, विनाशकों और फ्रिजेट्स पर यह मिसाइल तैनात कर रखी है। इस मिसाइल की रेंज बढ़ाने के लिए रूस और भारत लगातार काम कर रहे हैं। ब्रह्मोस-II के नाम से एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल 8 मैक की रफ्तार से उड़ सकेगी। इसके अलावा ब्रह्मोस-एनजी (नेक्स्ट जेनरेशन) डेवेलप की जा रही है।