Connect with us

उत्तराखण्ड

रामनगर सीट पर बार त्रिकोणीय मुकाबला, देखें पूरा सियासी समीकरण

खबर शेयर करें -

रामनगर : Uttarakhand Election 2022 : कभी वीआईपी रही रामनगर विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला भाजपा व कांग्रेस में न सिमटकर त्रिकोणीय है। भाजपा ने जहां दो बार विधायक रहे दीवान सिंह बिष्ट को फिर चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं इस बार दीवान सिंह का मुकाबला बिल्कुल नये बाहरी प्रत्याशी महेंद्र सिंह पाल से है।

वर्ष 2012 व 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांगे्रस के बीच मुकाबला रहा। बात करें वर्ष 2012 की तो कांगे्रस प्रत्याशी अमृता रावत को 37 व भाजपा के दीवान सिंह को 32 प्रतिशत तथा बसपा के किशोरी लाल को 17.7 प्रतिशत ही वोट मिले थे। वर्ष 2017 मेें भाजपा के दीवान सिंह बिष्ट को 46.31, रणजीत रावत को 35.18 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि तीसरे प्रत्याशी रहे बसपा के राजीव अग्रवाल को महज 13.91 प्रतिशत वोट ही मिल पाए थे। इस बार दीवान सिंह का मुकाबला कांग्रेसके महेंद्र सिंह पाल से था।

लेकिन अंतिम समय में कांग्रेस से बागी बनकर संजय नेगी भी चुनावी रण में उतर गए। ऐसे में अब रामनगर में मुकाबला त्रिकोणीय होने के साथ ही दिलचस्प हो चुका है। ठाकुर बाहुल्य वाली सीट में हमेशा मुकाबला भाजपा व कांगे्रस के ठाकुर प्रत्याशी के बीच ही सिमटा रहा। भाजपा से हर बार दीवान सिंह को ही टिकट मिला तो वहीं कांगे्रस से योगंबर रावत व अमृता रावत के बाद अब महेंद्र सिंह पाल को टिकट मिला है। हालांकि यहां के वोटर जातिगत आधार को नहीं मानते है।

दीवान सिंह बिष्ट की मजबूती

– दो बार विधायक होने से राजनीतिक अनुभव व पूरे क्षेत्र के जानकारी

– ईमानदार छवि व सरल स्वभाव की वजह से संगठन में सभी नेताओं से अच्छी पकड़

– क्षेत्र में लंबी चौड़ी रिश्तेदारी व विधायक के रूप में आसानी से उपलब्ध रहने का फायदा

दीवान सिंह की कमजोरी

– दो बार विधायक रहने व लगातार पांच बार टिकट मिलने से कुछ कार्यकर्ताओं में अंदरूनी नाराजगी की आशंका

– विपक्ष के आरोपों का खुलकर जवाब नहीं देना

– भितरघात की भी आशंका

महेंद्र सिंह पाल की मजबूती

– कांग्रेस का बूथ स्तर तक बेहतर प्रबंधन

– कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रणजीत रावत का सहयोग

– कांग्रेस का अपना कैडर वोट

महेंद्र सिंह पाल की कमजोरी

-पैराशूट प्रत्याशी के रूप में प्रचारित होना

-भाजपा का जनाधार व दो बार के विधायक रहे दीवान सिंह से मुकाबला

-कांग्रेस के बागी प्रत्याशी संजय नेगी का चुनाव लडऩा

संजय नेगी की मजबूती

-पूर्व ब्लाक प्रमुख अब उपच्येष्ठ प्रमुख रहने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी पकड़

-युवा नेता होने से यूथ का फायदा

-भाजपा व कांग्रेस के नाराज वोटर व कार्यकर्ताओं का फायदा

संजय नेगी की कमजोरी

-बूथ स्तर की टीम का नहीं होना

-भाजपा व कांग्रेस का कैडर वोट का होना

-जनंसपर्क के साथ ही खुद ही मैनेजमेंट भी करना

साभार न्यू मीडिया

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखण्ड

Advertisiment

Recent Posts

Facebook

Trending Posts

You cannot copy content of this page