राजनीति
रावत बनाम रावत, रणजीत कौन…
मनोज लोहनी
हरीश रावत लगातार राजनीतिक गॉशिप में टॉप पर बने हुए हैं। चुनाव ऐलान से ठीक पहले, कांग्रेस छोडऩे की इनडायरेक्ट भभकी दी। दिल्ली गए और हाईकमान ने कह दिया, चुनाव हरीश के अंडर ही होंगे। उस वक्त हरीश की भयंकर चर्चा। फिर वापस आए, सब कुछ नॉर्मल हुआ। हरीश की पॉलिटिकल गॉशिप का सेंसेक्स नीचे आ ही रहा था, तभी हरक सिंह का भाजपा ने बाहर कर दिया। एक्शन यहां भाजपा का था, मगर इस पर रिएक्शन कांग्रेस में होना था, हरीश रावत का सेंसेक्स बढ़ाते हुए। हरक सिंह कांग्रेस ज्वाइन करेंगे, मगर तब न जब हरीश रावत ऐसा होने दें। फिर हरीश-हरीश…और हरक ने भी जब हरीश-हरीश का जाप किया तब वह कांग्रेस की तरफ से चुनावी यज्ञ में पूर्णाहुति देने के हकदार बने। तो इस बहाने हरीश फिर पॉलिटिकल गॉशिप में फस्र्ट। हरक-हरीश का मुद्दा खत्म हुआ। मगर हरीश को तो आदत है चर्चा में बने रहने की। अब पॉलिटिकल गॉशिप की दुकान का शटर एक बार फिर रावत बनाम रावत के कहकहे के साथ खुल गया है। हरीश ने रामनगर का रुख किया तो उनके पुराने सेनापति रणजीत उखड़ गए। हरीश रावत का कांग्रेसी कार्यकर्ता के साथ एक ऑडियो भी वायरल कर दिया। हरीश ने कह दिया, वह रामनगर से बचपन से जुड़े हैं, तो वहीं से चुनाव लड़ेंगे। यह बात रणजीत को हजम नहीं हो रही। रणजीत के सैनिक उन्हें रामनगर से ही चुनाव लड़ाने को तैयार हैं। रणजीत का क्या रुख होगा, यह अभी तय नहीं पाया है। बात कांग्रेस को टा-टा करने की भी हो रही हैं, मगर टिकटों बांट में बदलाव की भी बात हो रही है। हरीश के लिए यह मुद्दा उनके राजनीतिक जीवन का ऐसा पड़ाव है, जहां से उन्हें जीत ही उनकी राजनीतिक नैया पार लगा सकती है, और उसके लिए पहले जरूरी है उनका चुनावी क्षेत्र। उन्होंने अगर रामनगर से लडऩा तय किया है तो काफी कुछ सोच-विचार कर ऐसा किया होगा। शायद यहीं उन्हें अपनी जीत दिख रही होगी। मगर रणजीत यहां अड़े हैंचुनाव लडऩे के लिए, ठीक वैसे ही जैसे हरीश अड़े थे हरक को कांग्रेस में न आने देने के लिए। मगर लास्ट में रिजल्ट बदला..। यहां क्या होगा, हरीश बनाम हरीश में कौन होगा रणजीत, शायद आज शाम या फिर कल तक क्लियर हो जाए। मामला फिलहाल वेट एंड वॉच का है, देखें क्या होता है।