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उत्तराखण्ड

Kotdwar Medical College का जिन फिर बोतल से निकला, ऋतु खंडूरी के बयान से आगबबूला हुए हरक सिंह रावत

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देहरादून. पिछली भाजपा सरकार में मंत्री हरक सिंह रावत का सपना ही रहा कोटद्वार मेडिकल कॉलेज एक बार फिर सुर्खियों में है. पिछले पांच सालों में उत्तराखंड की सियासत में इस कॉलेज के मुद्दे पर तांडव खूब हुआ. त्रिवेंद्र सिंह रावत से हरक सिंह की ठनी, करोड़ों की रकम मंज़ूर हुई, इस्तीफ़े की धमकी तक बात गई और फिर बिसात ही बदल गई… अब विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने कोटद्वार मेडिकल कॉलेज का जिन फिर बोतल से निकाला, तो हरक आगबबूला हो गए हैं.

बात शुरू से शुरू करें, तो कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज को लेकर हरक और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच खूब ठनी रही. केंद्र से मनाही के बावजूद हरक ने श्रम विभाग से 25 करोड़ रुपये कॉलेज के लिए रिलीज़ करा लिये थे, लेकिन राज्य सरकार ने इसका जीओ ही जारी नहीं किया. विवाद इतना बढ़ा कि श्रम बोर्ड के ही जांच के आदेश कर दिए गए. जो 25 करोड़ रुपया रिलीज़ हुआ, उसे भी नियम विरुद्ध बताते हुए वापस सरकारी खज़ाने में जमा करा लिया गया.

धमकी, फिर 25 करोड़ और बाज़ी पलटी!
इस बीच सत्ता परिवर्तन हुआ. त्रिवेंद्र के बाद तीरथ सरकार भी गई और पुष्कर सिंह धामी आए. सरकार के अंतिम दिनों में जब कैबिनेट में मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति की फाइल नहीं पहुंची, तो हरक इस्तीफे की धमकी देकर कैबिनेट छोड़ कोपभवन में चले गए. 24 घंटे के हाई प्रोफाइल ड्रामे के बाद हरक ने फिर 25 करोड़ मंज़ूर तो करा लिये लेकिन… ठीक चुनाव के समय हरक को बीजेपी से बाहर किया गया. वह कांग्रेस में गए तो उन्हें चुनाव के लिए टिकट नहीं मिला.

‘पहले ज़िले की लड़ाई लड़नी होगी’
अब कोटद्वार से विधायक हैं विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी. ऋतु कहती हैं कि केंद्रीय मानकों के अनुसार एक ज़िले में एक ही मेडिकल कॉलेज खुल सकता है. पौड़ी ज़िले में पहले ही श्रीनगर में मेडिकल कॉलेज है. लिहाज़ा, कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज का सवाल ही नहीं उठता. खंडूरी कहती हैं पहले कोटद्वार को ज़िला बनाना होगा, उसके बाद मेडिकल कॉलेज की लड़ाई लड़ेंगे. ऋतु खंडूरी के इस बयान से हरक सिंह आगबबूला हो गए हैं.

हरक सिंह का कहना है ‘मैं अनपढ़ नहीं हूं, केंद्रीय मानकों मानकों के नियम मुझे भी पता हैं. लेकिन, मेडिकल कॉलेज राज्य सरकार तो अपने स्तर पर बना सकती है.’ हरक सिंह कहते हैं कि पूर्व में कांग्रेस कार्यकाल में उन्होंने मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए केंद्रीय मानकों में संशोधन कराए. खंडूरी चाहें तो पर्वतीय प्रदेशों के लिए ये मानक शिथिल कराने को केंद्र को प्रस्ताव भेज सकती हैं. बकौल हरक, ‘जनहित के काम करने का जज़्बा होना चाहिए.’

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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