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साहित्य-काव्य

साहित्य ही नहीं, विज्ञान साक्षरता में भी मील का पत्थर साबित होगा ‘आरोहण’- अर्जुन राम मेघवाल

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‘आरोहण’ भविष्य का उपन्यास है जो साहित्य के साथ-साथ देश में विज्ञान साक्षरता को बढ़ाने में भी अहम योगदान देगा और हिंदी को समृद्ध करेगा. यह एक नए ग्रह, एक नई दुनिया की सैर पर ले जानेवाला उपन्यास है. यह बात कही केंद्रीय अर्जुन राम मेघवाल ने. उन्होंने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘आरोहण’ उपन्यास का लोकार्पण किया. साधना शंकर के इस उपन्यास को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है.

अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि आरोहण भविष्य का उपन्यास है. इसमें स्त्री-पुरुष के परस्पर संबंधों पर विचार किया गया है. उनके सह अस्तित्व पर विचार किया गया है. लेकिन इसमें स्त्रीवाद नही है, बेशक उसका जिक्र आता है और वह इस उपन्यास में चलता रहता है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह उपन्यास साहित्य के साथ-साथ विज्ञान साक्षरता में भी मील का पत्थर साबित होगा.

इस मौके पर वरिष्ठ लेखक डॉ. साधना शर्मा, चर्चित कवि लक्ष्मीशंकर वाजपेयी और वरिष्ठ लेखक-अनुवादक सूरज प्रकाश ने भी अपने विचार रखे.

इस अवसर पर कवि लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने कहा ‘आरोहण’ साधना शंकर के अंग्रेजी उपन्यास का अनुवाद है मगर इसका हिंदी अनुवाद इतनी खूबसूरती से हुआ है कि इसको पढ़ने में मूल किताब वाला आनन्द मिलता है. लेखक ने अपनी कल्पना से एक अलग और अद्भुत पृथ्वी की रचना की है. निश्चय ही इससे हिंदी साहित्य समृद्ध होगा और यह आने वाले लेखकों को विज्ञान कथाएँ लिखने के लिए प्रेरित करेगा.

लेखक डॉ. साधना शर्मा ने कहा कि ‘आरोहण’ एक अद्भुत रचना है. इसमें लेखक ने अपनी कल्पना से एक ऐसा संसार रचा है जो आपको एक अलग ही दुनिया की सैर कराता है. यह किताब पाठक को अपनी वर्तमान दुनिया से कहीं दूर ले जाती है. जहाँ मनुष्य अपनी प्राकृतिक सीमाओं को भी लाँघ सकता है.

‘आरोहण’ की लेखक साधना शंकर ने कहा कि यह उनका पहला उपन्यास है जो हिंदी में अनुवाद के रूप में प्रकशित हुआ है. यह उपन्यास एक संभव भविष्य के बारे में बतलाता है. इसे किसी डिस्टोपिया की तरह नहीं लिखा गया है. सिर्फ एक संभावना का संकेत किया है जिसमें मानवीय मूल्यों के लिए लेखक की चिंता का स्पष्ट करता है. उन्होंने बताया कि इस साइंस फिक्शन को लिखने में पांच वर्ष लगे थे.

अनुवादक सूरज प्रकाश ने कहा कि इस उपन्यास का अनुवाद करने में एक बड़ी चुनौती यह थी कि इसमें इस्तेमाल अनेक शब्दों का कोई हिंदी पर्याय उपलब्ध नहीं था. यह उपन्यास प्रश्नों से शुरु होता है, आगे उत्तर आते रहते हैं और प्रश्न भी आते रहते हैं जो एक चुनौती वाला काम था.

राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा कि आरोहण उपन्यास हमारे लिए और तमाम हिंदी पाठकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. यह इस बात का उदाहरण है कि कल्पना कितनी सृजनशील हो सकती है. यह हमें वैज्ञानिक और रचनात्मक दिशा में प्रेरित करने वाली कृति है.

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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