उत्तराखण्ड
डीसीबी चतुर्थ श्रेणी भर्ती घोटाले की सही जांच हुई तो नपेंगे कई अधिकारी
जिला सहकारी बैंकों की चतुर्थ श्रेणी भर्ती की जांच अगर सही व निष्पक्ष हो गई तो बैंक के कई उच्च अधिकारियों का नपना तय माना जा रहा है। प्रथम दृष्टया जांच में भर्ती घोटाले में अधिकारियों की मिली भगत सामने आती दिख रही है। जांच में यह भी स्पष्ट होगा कि बैंक के किन अधिकारियों व नेताओं ने अपने परिजनों को भर्ती कराया है।
जिला सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी की 423 पदों पर भर्ती प्रक्रिया दिसंबर 2020 से गतिमान है। यह भर्ती प्रक्रिया शुरुआत से ही सवालों के घेरे में रही। पहले हरिद्वार जिले में दो बार भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई गई।
इसके बाद विधानसभा चुनाव की आड़ में अधिकारियों ने अपनी मनमर्जी से भर्ती प्रक्रिया कराकर अपने परिजनों व परिचितों को भर्ती करा दिया। इतना ही नहीं चतुर्थ श्रेणी भर्ती के लिए आठ से पंद्रह लाख रुपये तक की डिमांड की गई।
इस पहलू की जांच के लिए भी जांच टीम ने 16 अप्रैल को सभी अभ्यर्थियों को उनका पक्ष रखने के लिए बुलाया है। अगर उस दौरान कोई भी छात्र इस आरोप के साक्ष्य उपलब्ध कराता है तो जांच का रुख भी पलट सकता है।
संविदा पर कार्य कर रहे कर्मियों के लिए जाएंगे बयान
जिला सहकारी बैंक की भर्ती प्रक्रिया में संविदा कर्मियों को तब्बजों नहीं दी गई है। ऐसे भी सवाल उठ रहे हैं कि संविदा कर्मियों से भी भर्ती की एवज में मोटी रकम की डिमांड की गई है। जांच टीम इस आरोप की जांच के लिए बैंक में कार्यरत संविदा कर्मियों के भी बयान दर्ज करेगी।
प्वाइंटर में दी जाएगी जांच रिपोर्ट
जांच टीम अपनी जांच की रिपोर्ट शासन को प्वाइंटर में देगी। प्रत्येक आरोप व उसकी जांच की पूरी लिस्ट बनाकर दी जाएगी। जांच कमेटी के अध्यक्ष उप निबंधक कुमाऊं मंडल नीरज बेलवाल ने कहा कि जांच प्रक्रिया जारी है, प्रक्रिया में थोड़ा समय लग रहा है। जल्द ही जांच पूरी कर शासन को भेजी जाएगी।

