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International Women Day 2022: जानिए उस अफसर की कहानी, जो मजदूर के बच्चों के कारण बनीं आइएएस
क्यों कहती है दुनिया कि नारी कमजोर हैं, आज तो नारी के हाथों में घर के साथ प्रशासन चलाने की भी डोर हैं। अंबाला छावनी की बेटी आशिका जैन इसका जीवंत उदाहरण हैं। आशिका जैन पूर्व असिस्टेंट एडवोकेट जनरल एवं पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के वकील अजय जैन और मीनाक्षी जैन की बेटी हैं। माता-पिता से प्रेरणा पाकर वह न केवल आइएएस बनी बल्कि कई जिलों में बड़े प्रशासनिक पदों पर रहते हुए महत्वपूर्ण भूमिका भी अदा की। आशिका वर्तमान में पंजाब के जालंधर में बतौर अतिरिक्त उपायुक्त सेवारत हैं। इससे पहले वह दिल्ली में एसडीएम, जालंधर में नगर निगम आयुक्त, मोहाली में एडीसी रह चुकी हैं। मोहाली में एडीसी रहते हुए कोविड काल में लाकडाउन के दौरान तमाम बंदोबस्त और कोविड से निपटने में इन्होंने महत्ती भूमिका अदा की।
मजदूरों के बच्चों को देखा ठाना था जीवन सुधार का लक्ष्य
आशिका बताती हैं कि उनके मन में गरीब व जरूरतमंद परिवारों के बच्चों के लिए कुछ करने की ललक हमेशा रहती थी। लिहाजा शिक्षा के दीपक से उनके जीवन को सुधारने के लिए प्रयास करते हुए कालेज के साथियों के साथ आगाज एनजीओ का गठन किया था। इसके बाद उन्हें नियमित रूप से पढ़ाने लगे। उनकी पढ़ाई के साथ-साथ खुद भी आइएएस परीक्षा की तैयारी करने लगी और पहले ही अटैम्पट में क्लियर भी कर ली। 4 जुलाई 2015 को 23 साल की उम्र में 74वीं रैंक लाने वाली आइएएस बनने का गौरव मिला था।
डीएवी व कान्वेंट स्कूल से की थी पढ़ाई
आशिका ने डीएवी स्कूल से 97 फीसदी अंक लेकर 10वीं में टाप किया था और कान्वेंट आफ जीसीज एंड मेरी स्कूल में 95 फीसदी अंक लेकर 12वीं में टापर रही थी। इसके उन्होंने आल इंडिया ला एंट्रेंस टेस्ट में ही नहीं बल्कि दिल्ली नेशनल ला यूनिवर्सिटी में भी टापर रही। एलएलबी करने के बाद पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पिता के साथ प्रेक्टिस करने लगीं। माता-पिता ने जो सपना बेटी के लिए संजोया था उसे बेटी ने मुकाम तक पहुंचा दिया।
माता-पिता ने मुझपर विश्वास जताया
एडीसी जालंधर आशिका जैन ने बताया कि जिस तरह मेरे माता-पिता ने मुझपर विश्वास दिखाकर मुझे हर प्रकार का अवसर उपलब्ध करवाया और इस मुकाम तक पहुंचाया उसी तरह सभी माता-पिता अपनी बेटियां पर विश्वास और भरोसा दिखाते हुए उनसे आस रखें। वे किसी क्षेत्र में बेटों से कम नहीं हैं यह सोच रखते हुए उन्हें बढ़ने का मौका दें।

