उत्तराखण्ड
उत्तराखंड चुनाव में कांग्रेस को मिली पराजय, हार के कारणों पर होगा मंथन
देहरादून। कांग्रेस हार के कारणों पर मंथन के बाद ही प्रदेश संगठन के नए मुखिया और नेता विधायक दल पर फैसला लेगी। पार्टी हाईकमान लगातार दूसरे विधानसभा चुनाव में मिली हार से सकते में है। इसकी तह में जाने को लोकसभा क्षेत्रवार विधानसभा सीटों पर हार की समीक्षा करने का निर्णय लिया गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ केंद्रीय पर्यवेक्षक अविनाश पांडेय की अध्यक्षता में 21 मार्च से दो दिनी समीक्षा बैठक होगी।
उत्तराखंड में पांचवीं विधानसभा के चुनाव में हुई बड़ी हार ने कांग्रेस को नए सिरे से सोच-विचार के लिए विवश कर दिया है। हार के कारण प्रदेश की सत्ता हाथ से फिसल गई, साथ में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। कांग्रेस हाईकमान की चिंता का बड़ा कारण अब यही है। सत्ता का मौका हाथ से जाने से प्रदेश में पार्टी दिग्गज आपस में भिड़े हुए हैं। एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ा जा रहा है। नेताओं की आपसी गुटबाजी के बीच पार्टी नेतृत्व प्रदेश में नए सिरे से संगठन को मजबूत करने की तैयारी में है।
पार्टी हार के कारणों की समीक्षा करने के दौरान यह थाह भी लेगी कि संगठन को किस तरह मजबूत बनाया जाए। पूर्व राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडेय की तैनाती इसी रणनीति को ध्यान में रखकर की गई है। अब यह भी तय कर दिया गया है कि हार के कारण जानने को प्रदेशस्तरीय समीक्षा बैठक कर इतिश्री नहीं की जाएगी। पांचों लोकसभा क्षेत्रों में विधानसभा क्षेत्रवार प्रदर्शन के आधार पर यह कार्य होगा। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में 21 मार्च को दोपहर तीन बजे से पौड़ी और अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्रों की सभी 28 विधानसभा सीटों की समीक्षा की जाएगी।
इसी तरह 22 मार्च को सुबह 11 बजे से नैनीताल, हरिद्वार और टिहरी लोकसभा क्षेत्रों की सभी 42 विधानसभा सीटों की समीक्षा बैठक होगी। बैठक में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, सभी जिला व महानगर अध्यक्ष, नवनिर्वाचित विधायक, हारे हुए प्रत्याशी, सांसद, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता उपस्थित रहेंगे। दो दिनी मंथन के बाद प्रदेश में कांग्रेस के नए अध्यक्ष और नेता विधानमंडल दल के बारे में भी फीडबैक लिया जाएगा। पार्टी इन दोनों ही पदों पर नियुक्ति को लेकर बेहद सतर्क है।

