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डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो के लिए कैसे करें विदेशी शेयरों में सीधे निवेश, किन बातों का रखें ध्यान?
शेयर बाजार चढ़ता-गिरता रहता है. संभव है कि देश के शेयर बाजार किसी समय आपको अच्छा रिटर्न नहीं दे रहा हो. ऐसे हालात में आप क्या करेंगे? निवेशकों के लिए सभी परिस्थितियों में अपने निवेश की रकम की रक्षा के लिए डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो की आवश्यकता होती है, जो वैश्विक बाजारों के झटके का सामना करने में सक्षम हो.
अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान जैसे स्थापित विदेशी बाजार जो भारतीय बाजारों की तुलना में कम अस्थिर (वोलेटाइल) होते हैं, वहां के शेयरों में निवेश कर तूफानी रिटर्न हासिल कर सकते हैं. यह एक कारण हो सकता है, जिस वजह से भारतीय निवेशक अक्सर विदेशी शेयरों में सीधे निवेश करने में दिलचस्पी रखते हैं. सवाल उठता है कि विदेशी शेयरों में निवेश कैसे संभव है?
आप विदेशी शेयरों में अप्रत्यक्ष निवेश ईटीएफ और म्यूचुअल फंड के जरिये कर सकते हैं. कई म्यूचुअल फंड हाउस कई वर्षों से निवेशकों को यह सुविधा प्रदान कर रहे हैं. वहीं, जब उन शेयरों में सीधे निवेश की बात आती है, तो आपको कुछ अतिरिक्त कदम उठाने होंगे. आपको APPL (एपल), GOOGL (अल्फाबेट), NFXL (नेटफ्लिक्स) और TWTR (ट्विटर) जैसे शेयरों में निवेश करने के लिए ब्रोकर के साथ एक विदेशी ट्रेडिंग खाता खोलना होगा.
इसका लाभ पूर्ण-सेवा और छूट वाले ब्रोकर (discount brokers) के साथ लिया जा सकता है, जिनका विदेशी ब्रोकर के साथ तालमेल है. आईसीआईसीआई डायरेक्ट, एचडीएफसी सिक्योरिटीज, कोटक सिक्योरिटीज और एक्सिस सिक्योरिटीज निवेशकों को विदेशी ट्रेडिंग खाते खोलने का विकल्प प्रदान करते हैं.
इन विदेशी ब्रोकरों की भारत में मौजूदगी
यदि आप विदेशी शेयरों में निवेश करना चाहते हैं, तो आप भारत में मौजूदगी वाले विदेशी ब्रोकर के जरिये सीधे विदेशी ट्रेडिंग खाता खोल सकते हैं. भारत में काम करने वाले विदेशी ब्रोकर्स में चार्ल्स श्वाब, अमेरिट्रेड, इंटरएक्टिव ब्रोकर्स समेत अन्य शामिल हैं. हालांकि, इस बात का ध्यान रखना होगा कि विदेशी शेयरों में निवेश करने के लिए आपको भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों का पालन करना होगा. वैसे, अमेरिका जैसे देश में शेयर खरीदने पर आपको रिटर्न में मजबूत होते डॉलर का भी लाभ मिलेगा.
1.9 करोड़ रुपये तक के निवेश में कोई झंझट नहीं
केंद्रीय बैंक दिशानिर्देश के तहत भारतीय निवेशक एक वित्तीय वर्ष में 250,000 डॉलर (1.9 करोड़ रुपये) तक का निवेश बिना किसी अनुमति के कर सकते हैं. यह रिजर्व बैंक के लिबराइज्ड प्रेषण योजना (Liberalised Remittance Scheme) का हिस्सा है. निवेशकों को विदेशी शेयरों में निवेश करने के लिए ब्रोकर को अधिक फी और चार्ज देना होगा. इसमें 7 लाख रुपए से अधिक के प्रेषण के लिए 5 फीसदी टीसीएस भी शामिल है. डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट के कारण निवेशक भारत में टैक्स क्रेडिट के रूप में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और डिविडेंड पर अमेरिका या अन्य देशों में चुकाए गए टैक्स का दावा कर सकते हैं.

