उत्तराखण्ड
भांजे से दो-दो हाथ करेंगे हरीश रावत
सूबे के सबसे कद्दावर नाम व माहिर राजनीतिक खिलाड़ी पूर्व सीएम हरीश रावत रामनगर से कांग्रेस से चुनावी समर में उतर गए हैं। रामनगर में उनका सीधा मुकाबला भाजपा प्रत्याशी व अपने रिश्ते के भांजे दीवान सिंह बिष्ट से होगा। बता दें कि हरीश रावत ताऊ के लड़के व दीवान सिंह की माता चाचा की लड़की है। इस हिसाब से अब मामा व भांजे के चुनाव में आमने सामने होने से मुकाबला रोमांचक होने के आसार है।
रामनगर सीट पर पिछले एक साल से हरदा ने सक्रियता बढ़ा दी थी। हर पुराने कांग्रेस नेता से मिलना व रामनगर के बाजार में जलेबी बनाना, दुकान में जाकर चाट बनाना, चाय बनाना, सड़क किनारे खड़े ठेले पर लीची खाने व हर बार रामनगर के लोगों से अपना पुराना रिश्ता बताने से हरदा के रामनगर से चुनाव लडऩे की अटकलें लगने लगी थी। पूर्व में महंगाई के खिलाफ यात्रा व मालधन में जनसभा भी की थी। लेकिन उनके दीवान सिंह के उनके भांजे होने की वजह से हरदा के रामनगर से चुनाव लडऩे की अटकलों पर विराम लग रहा था। इस बार भी भाजपा ने दीवान सिंह बिष्ट को टिकट दिया है। हरदा भी अब रामनगर की सीट से ही भांजे के सामने ताल ठोकने के लिए उतर गए हैं।
हरीश रावत के बारे सबकुछ
पिता का नाम: राजेेंद्र सिंह रावत
मां का नाम: देवकी देवी
जन्म : 27 अप्रैल 1947
पता: पो.आ. चोनलिया ग्राम मोहनरी जिला अल्मोड़ा
शिक्षा: अल्मोड़ा से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह स्नातक, परास्नातक की पढ़ाई करने लखनऊ विश्वविद्यालय चले गए। वहां से पांच वर्षीय बीए एलएलबी डिग्री का कोर्स किया।
पारिवारिक पृष्ठभूमि: हरीश रावत के पिता ठेेकेदार थे। हरीश तीन भाइयों में सबसे बड़़े हैं। उनकी तीन पुत्रियां व दो पुत्र है।
राजनीतिक प्रोफाइल : वर्ष 1973 मेें हरीश रावत कांग्रेस की जिला युवा इकाई के अध्यक्ष चुने फिर ब्लाक प्रमुख व जिलाध्यक्ष की भूमिका निभाई।
वर्ष 1980-84 में सातवें लोकसभा चुनाव में मुरली मनोहर जोशी को हराया।
वर्ष 1984-89 में आठवा लोकसभा चुनाव जीता वर्ष 1989-1990 में तीसरा लोकसभा चुनाव जीते
1990: जनसंचार मंत्रालय की कमेटी मेें सदस्य 2001-2007 उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष वर्ष 2002 में राज्यसभा के लिए चुने गए वर्ष 2009 15वीं लोकसभा हरिद्वार से जीते 2009 से 2014 तक राज्य व केंद्रीय जल संसाधन मंत्री वर्ष 2014 फरवरी से 18 मार्च 2017 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनाए गए। हालांकि बीच में दो बार उन्हें राष्ट्रपति शासन लागू हो की वजह से हटना पड़ा था।
इन चुनाव में मिली हार
पूर्व सीएम हरीश रावत की सरकार को अल्पमत में आने की वजह से नुकसान उठाना पड़ा। हरीश रावत ने हरिद्वार ग्रामीण व किच्छा से चुनाव लड़ा। पर दोनों जगह से वह चुनाव हार गए थे। इससे पहले भी लोकसभा चुनाव में वर्ष 1991, 1996, 1998, 1999 हारे हैं।

