राजनीति
हरीश रावत मुख्यमंत्री,! वोट दो वोट दो…
यह कांग्रेस की गॉशिप है। ऐसा भयंकर पूर्वानुमान केवल भगवान ही लगा सकते हैं, अलबत्ता अपनी जीत के लिए हर कोई आश्वस्त जरूर होता है। जाहिर है चुनाव कोई जीतने के लिए ही लड़ता है, हारने के लिए नहीं। बात यहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की विधानसभा सीट लालकुआं की हो रही है। कांग्रेस ने हरीश रावत को चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बनाया है। चुनाव से ठीक पहले उन्होंने ‘राजनीति में अपने मगरमच्छों से कैसे पार पाएंÓ का जुमला वाया फेसबुक छेड़ा तो कांग्रेस में भूचाल जैसा ही आ गया था जिसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी हाईकमान को दिल्ली में कहना पड़ा कि कांग्रेस चुनाव हरीश रावत के संचालन में ही लड़ेगी। इसके बाद तूफान थमा और हरीश रावत उत्तराखंड आ गए। फिर उनके चुनाव लडऩे की बारी थी, कहां से? यह अंतिम समय में तय हुआ और हरीश रावत ने लालकुआं विधानसभा सीट चुनी। हालांकि इससे पहले हरीश रावत रामनगर का रुख कर चुके थे। इससे कांग्रेसियों में खासी निराशा और, निराशा इस बात की भी कि उन्होंने कालाढूंगी सीट पर भी डॉ. महेंद्र पाल को टिकट देकर गड़बड़ कर दी है। उन्होंने अपनी सीट बदली और कांग्रेसियों द्वारा कही जा रही उस गड़बड़ को महेश शर्मा को कालाढूंगी और डॉ. महेंद्र पाल को रामनगर से टिकट देकर ठीक किया। इसके बाद कांग्रेसियों का उत्साह सातवें आसमान पर है। अब हरीश रावत लालकुआं से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस सरकार बनने की स्थिति में मुख्यमंत्री हैं, कांग्रेसियों के लिए यही सच है, खासकर लालकुआं विधानसभा में प्रचार कर रहे कांग्रेसियों के लिए। कांग्रेसियों के डोर-टू-डोर अभियान में यही कहा जा रहा है कि हरीश रावत जी को जीतने के बाद मुख्यमंत्री बनना है, और वह मुख्यमंत्री बने तो फिर आपकी विधानसभा मुख्यमंत्री की विधानसभा होगी और मुख्यमंत्री की विधानसभा होगी तो फिर चौल ही चौल। यानी आपको वोट हरीश रावत जी को नहीं बल्कि मुख्यमंत्री को देना है। जाहिर है, यह बातें विधानसभा से बाहर भी निकलेंगी ही। भाजपा-कांग्रेस में से किसकी सरकार आएगी यह विषय तो चुनाव नतीजों के बाद का है, मगर लालकुआं में कांग्रेस का प्रचार कर रहे कार्यकर्ताओं ने न केवल हरीश रावत सरकार का गठन कर दिया है, बल्कि प्रदेश में उन्होंने अलग-अलग मंत्रियों को विभाग भी बांट दिए हैं! लालकुआं में एक चुनावी चर्चा के दौरान यह कहना था एक मतदाता का। यह बात सच भी है क्योंकि कांग्रेस की सरकार इस वक्त लालकुआं से चल रही है, चुनाव अभी दूर और नतीजे भी बहुत दूर मगर लाल कुआं से वोट निकालने की कोशिश कर रहे पूर्व सीएम हरीश रावत के समर्थकों के लिए लालकुआं में लोगों के बीच यही चुहल है। प्रचार हो रहा है, सीएम को वोट देने के नाम से। समर्थकों के आगे बढ़ जाने के बाद तो सन्नाटा नहीं बल्कि लोगों में बात छिड़ती है…यही कि राजनीति में अनुमान और मनगढ़ंत नतीजे भी कभी-कभी आसमान जा पहुंचते हैं।

