उत्तराखण्ड
रेखा के जरिये कुमाऊं की सियासत को आधी आबादी का दिया संदेश
अल्मोड़ा। सभी बाधाओं और अटकलों को पार करते हुए सोमेश्वर आरक्षित सीट से विधायक रेखा आर्या के जरिये सरकार ने आधी आबादी को संदेश दिया है। हैवीवेट प्रोफाइल, तीन बार लगातार विजय, सामाजिक और जातीय समीकरणों से भी तारतम्य बैठाना भी उनके पक्ष में रहा।
सोमेश्वर विधानसभा से रेखा आर्या तीसरी बार और नैनीताल विधानसभा से सरिता आर्या लगातार दूसरी बार जीतकर विधानसभा पहुंची हैं। इसके लिए भाजपा आधी आबादी को किसी प्रकार से नाराज करने के मूड में नहीं थी। अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र की 80 फीसद विस क्षेत्रों में तो महिलाएं ही निर्णायक भूमिका में थीं। कैबिनेट में महिला विधायक की हिस्सेदारी की बात उठी तो रेखा आर्या का नाम शुरू से ही सबसे ऊपर चल रहा था।
रेखा के पक्ष में उनका तेज तर्रार होना, त्रिवेंद्र सरकार में राज्य मंत्री व धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री होना था। इसके अलावा वह आरक्षित वर्ग की महिला होना भी उनके पक्ष में रहा।
सरकार-मेहरा, नैनवाल, जीना खेमे में छाई मायूसी
प्रदेश में भाजपा को इस बार फिर बहुमत मिला। जिले की 6 विधानसभाओं में से चार भाजपा के पास गई थी। जिसके बाद कुछ विधायक बार कैबिनेट मंत्री बनने का सपना संजोए हुए थे। लेकिन मंत्रीमंडल के शपथ ग्रहण होने के बाद समर्थकों में मायूसी छाई हुई है।
जिले की 6 विधानसभाओं में से सोमेश्वर आरक्षित विधानसभा से रेखा आर्या, जागेश्वर से मोहन ङ्क्षसह मेहरा, रानीखेत से प्रमोद नैनवाल, सल्ट से महेश जीना चुनाव जीते। इनमें से सिर्फ रेखा आर्या को ही कैबिनेट में स्थान मिला। जागेश्वर विधानसभा से पहली बार विधायक बने मोहन ङ्क्षसह मेहरा के समर्थक भी उनके कैबिनेट में शामिल होने की उम्मीद जता रहे थे। उन्होंने पांच बार चुनाव जीत चुके कांग्रेस के हैवीवेट नेता गोविंद सिंह कुंजवाल को पटखनी दी थी।
वहीं रानीखेत विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी प्रमोद नैनवाल ने कांग्रेस के दिग्गज और प्रतिपक्ष के उपनेता करन माहरा को पराजित किया था। वहीं सल्ट से लगातार दूसरी बार विधायक बने महेश जीना के समर्थक भी कैबिनेट में शामिल किए जाने की मांग कर रहे थे। मंत्रीमंडल में इन तीनों को जगह नहीं दी गई। जिससे कार्यकर्ता मायूस है। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनका कहना है कि अभी तीन मंत्री पद और है। उनमें यहां से किसी को जगह दी जा सकती है।

