स्वास्थ्य
बच्चे को न भेजें स्कूल अगर दिख रहे हैं कोविड-19 जैसे यह लक्षण
Coronavirus: पिछले दो सालों में कोरोना वायरस महामारी की वजह से बच्चे घर में रहकर पढ़ना, खेलना और समय बिताना सीख गए हैं। कोविड के मामलों में कमी देखकर इससे जुड़े प्रतिबंधों को हटा दिया गया, जिसके बाद कई स्कूलों ने भी बच्चों को बुलाने का फैसला किया। जिसके बाद से कई मां-बाप और बच्चे वापस स्कूल जानें को लेकर काफी उत्साहित थे, तो कई को संदेह और चिंता ने घेर लिया था।
हालांकि, स्कूलों का दोबारा खुलना एक अच्छा संकेत ज़रूर है, लेकिन पेरेंट्स को यह नहीं भूलना चाहिए कि महामारी अभी ख़त्म नहीं हुई है। हाल ही में नोएडा और गाज़ियाबाद के कुछ स्कूलों में बच्चो कोविड पॉज़ीटिव पाए गए, जिसके बाद स्कूलों को बंद करना पड़ा। ऐसे में अगर आपका बच्चा भी स्कूल जा रहा है, तो ध्यान दें कि कहीं बच्चे में कोविड से जुड़े लक्षण तो नज़र नहीं आ रहे। अगर ऐसा है तो उसे स्कूल भेजने की गलती न करें।
बच्चों में कोविड-19 के लक्षण
SARs-COV-2 वायरस से संक्रमित बच्चों में या तो लक्षण दिखेंगे या फिर वे एसिम्प्टोमैटिक रहेंगे। बच्चों में बुख़ार, लगातार खांसी, सीने में दर्द, सुगंध और स्वाद का न आना, गले में ख़राश, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल दिक्कतें, मांसपेशियों में दर्द या सिर दर्द जैसी तकलीफें देखी जा सकती हैं। यह बच्चों में कोविड के सबसे आम संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा, मार्च 2022 में प्रकाशित एक शोध में देखा गया कि जिन बच्चों को कोविड संक्रमण हुआ, उनमें क्रुप भी पाया गया।
बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) क्या है?
अधिक गंभीर मामलों में, कोरोना वायरस से संक्रमित बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) भी दिखाई दे सकता है। यह स्थिति हृदय, फेफड़े, रक्त वाहिकाओं, गुर्दे, पाचन तंत्र, मस्तिष्क, त्वचा या आंखों सहित कुछ अंगों और ऊतकों में सूजन पैदा कर सकती है। एमआईएस-सी लक्षणों का एक समूह है जिसमें बुखार शामिल है, जो 24 घंटे या उससे अधिक समय तक रहता है। यह उल्टी, दस्त, पेट दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते, थकान, तेजी से सांस लेने, लाल आंखें, लाल या सूजी हुई जीभ, जिसे “स्ट्रॉबेरी जीभ” भी कहा जाता है, के साथ आता है।
बच्चे बन सकते हैं कोविड का आसान शिकार
भारत में इस वक्त 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को ही कोविड वैक्सीन लग रही है। हालांकि, इससे कम उम्र के बच्चों के लिए अभी तक किसी वैक्सीन को मंज़ूरी नहीं मिली है। जिसकी वजह से वे आसानी से कोविड संक्रमण का शिकार बन सकते हैं। इसलिए बच्चों को ज़्यादा सुरक्षित रखने की ज़रूरत है ताकि वे इस ख़तरे से बचे रहें।
बीमार पड़ने पर बच्चे को स्कूल न भेजें
अगर बच्चा बीमारी है, तो उसे कभी भी स्कूल नहीं भेजना चाहिए। चाहे फिर वह बीमारी कोविड की वजह से न हो। कोरोना के अलावा भी कई ऐसी बीमारियां हमारे आसपास मंडरा रही हैं, जो फेफड़ों या श्वसन प्रणाली को प्रभावित करती हैं। बच्चे को अगर बुखार, सर्दी, ज़ुकाम या खांसी भी है, तो वह दूसरे बच्चों को भी संक्रमित कर सकता है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

